दादाबाड़ी में 132 केवी जीएसएस का निर्माण शुरू होने से लोगों को उम्मीद बंधी थी कि इस बार गर्मी में उन्हें बिजली गुल होने की परेशानी से कुछ राहत मिलेगी, लेकिन इस जीएसएस के निर्माण में इतनी लेटलतीफी हुई कि आज तक शहर को बिजली नहीं मिल पाई। मजेदार बात यह है कि अब यह जीएसएस पूरी तरह से बन कर तैयार है। स्टाफ भी मिल चुका है, लेकिन इसका उदघाटन ना होने से बंद पड़ा है। जब ऊर्जा राज्य मंत्री कोटा आएंगे तब फीता कटेगा और लोगों को बिजली मिल सकेगी।
यह है विद्युत तंत्र का हाल राज्य सरकार ने कोटा शहर की विद्युत वितरण व्यवस्था निजी बिजली कंपनी सीईएससी को सौंप दी। जयपुर डिस्कॉम की फ्रेंचाइजी कंपनी सीईएससी को अधिकतम 33 केवी तक की सप्लाई देखनी है। इसके बाद 11 केवी व एलटी लाइनें आती हैं। 33 केवी लाइनों में 132 केवी जीएसएस से बिजली मिलती है। एेसे में 132 केवी जीएसएसों से निकलकर सीईएससी के अधिकार क्षेत्र वाले 33 केवी जीएसएसों को जब तक निर्बाध बिजली नहीं मिलेगी, निजी कंपनी कुछ नहीं कर सकती। शहर में इन दिनों परेशानी 33 केवी लाइनों से ही हो रही है। 33 केवी लाइनें ओवरलोड हो रही हैं। जब तक उनका विद्युत भार कम नहीं किया जाता तब तक उनमें बिजली बहाल नहीं हो पा रही। एेसे में अतिरिक्त 33 केवी लाइनों की आवश्यकता है और यह नया 132 केवी जीएसएस चालू हुए बिना मिलना संभव नहीं है।
#बिजली_के_झटके: कभी भी गुल हो जाती है बिजली आंखों में गुजर रही रातें शहर में 33 केवी की लाइनें ट्रिप होने से काफी विस्तृत क्षेत्र में बिजली बंद हो जाती है। अतिरिक्त रिजर्व लाइन नहीं होने से जब तक यह लाइन ठीक नहीं होती, तब तक दूसरी लाइन से बिजली चालू करना संभव नहीं हो पा रहा। एेसे में लोगों को बिना बिजली के भारी परेशानी हो रही है। लाइनों पर अधिकतर लोड दोपहर व रात को होता है, एेसे में भरी दुपहरी व रात में बिजली बंद होने से लोगों को काफी परेशानी हो रही है।