250 करोड़ रुपए से होने वाले सुधार कार्यों के लिए रोड कटिंग व भूमिगत लाइन बिछाने के लिए जमीन के किराए को लेकर नगर निगम व न्यास के साथ जयपुर डिस्कॉम का विवाद हो गया। रोड कटिंग की अनुमति नहीं मिली, लेकिन उधर टेण्डर होने से ठेका फर्म ने काम शुरू कर दिया। इसके बाद शहर की विद्युत आपूर्ति निजी हाथों में देने की कवायद शुरू हो गई और 250 करोड़ के इस काम पर किसी का ध्यान नहीं रहा। नतीजा यह हुआ कि शहर के विद्युत तंत्र में कोई खास सुधार नहीं हुआ, इससे अभी भी बिजली गुल हो रही है।
#बिजली_के_झटके: रात को गुल हुई बिजली दोपहर में आई
निजी कंपनी ने भी किया नजरंदाज निजी बिजली कंपनी ने कार्यभार संभालने के बाद युद्धस्तर पर लाइनों की मरम्मत का कार्य शुरू किया, लेकिन खामी यह रही कि कंपनी की ओर से प्रथम चरण में इस गर्मी को फोकस करते हुए सुधार नहीं किए, लाइनों की मरम्मत स्थाई सुधार को फोकस कर की गई। इसका असर यह हुआ कि जहां निजी कंपनी की ओर से विद्युत तंत्र में आमूलचूल परिवर्तन कर दिया, वहां फाल्ट कम हो गए, लेकिन जहां कंपनी की ओर से विद्युत तंत्र को छूआ तक नहीं, वहां अभी भी बिजली गुल होने से लोगों को परेशानी हो रही है।