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#सेहत_से_खिलवाड़: सब्जियों में जहर घोल रहा नाले का पानी

locationकोटाPublished: May 14, 2017 08:44:00 pm

Submitted by:

​Vineet singh

सेहतमंद होने की ख्वाहिश में आप जिन सब्जियों को खा रहे हैं, वह बड़ी खामोशी से आपके शरीर में जहर घोल रही हैं। मुनाफे के चक्कर में साफ पानी का इंतजाम करने के बजाय शहर के तमाम बाहरी इलाकों में किसान नाले के गंदे पानी से सब्जियां उगा रहे हैं। जो आपको बीमार बड़ी खमोशी से बीमार बना रही हैं।

patrika campaign pesticides in food

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पूरे शहर का मल-मूत्र और कारखानों से निकलने वाले रसायन व हैवी मेटल्स नाले के जिस पानी में मिल रहा है, उससे ही शहर के चारों तरफ खेती की जा रही है और वह भी ऐसी सब्जियों की जिन्हें सेहत के लिए सौगात समझा जाता है। 
रायपुरा नाले के के किनारे तो हर रोज बड़ी मात्रा में सब्जियां उगाकर शहर की मंडियों में बेची जा रही हैं। इस जहरीले पानी का असर शरीर पर असर बताने के लिए नाले के किनारे लगा डीजल सेट ही काफी था। जो पानी की गंदगी से पूरी तरह सफेद पड़ चुका है। जरा सोचिए कि इस पानी में उगी सब्जी आपके शरीर पर क्या असर डाल रही होगी।

रोज होती सब्जी सप्लाई

स्थानीय लोगों ने बताया कि यहां पर कद्दू, लोकी, पालक, गोभी और टमाटर सहित कई तरह की सब्जियां उगाई जा रही हैं। जिन्हें तोड़कर किसान रोज तड़के मंडी पहुंचा देते हैं। इसके बाद वह आपकी रसोई से होते हुए शरीर में दाखिल हो जाती हैं।
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जल प्रदूषण के नतीजे गंभीर

विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक सिंचाई में इस्तेमाल होने वाले पानी में घुली भारी धातुओं और क्षारीय तत्वों के जो मानक तय किए गए हैं उनसे कई गुना ज्यादा मात्रा कोटा में नालों के पानी से उग रही सब्जियों में मिली है। जैसे कि सिंचाई वाले पानी में कैडमियम की मात्रा 3 से 6 माइक्रोग्राम से अधिक नहीं होनी चाहिए, लेकिन नालों के किनारे उगी पालक में 98.92 माइक्रो ग्राम कैडमियम पाई गई है। बैंगन, टमाटर, गोभी आदि में कास्टिक, लेड और अर्सेनिक जैसे भारी तत्वों की कई गुना ज्यादा मात्रा मिली है।
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ऑक्सीटोसिन लगाने की भी जरूरत नहीं पड़ती

खीरा, ककड़ी, लौकी, तोरई और कद्दू आदि सब्जियों का आकार और वजन बढ़ाने के लिए दुधारू जानवरों पर इस्तेमाल होने वाले हार्मोनल रसायन ऑक्सीटोसिन का भी किसान धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन नालों के किनारे उगने वाली सब्जियों में तो इसे लगाने की जरूरत ही नहीं पड़ती। 
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सरकार ने लगा रखा है प्रतिबंध 

सीवरेज के पानी में हैवी मेटल्स होने की वजह से इसका स्वास्थ्य पर खतरनाक असर पड़ता है, इसलिए कृषि विभाग सीवरेज के पानी से फसलें उगाने पर कई सालों पहले प्रतिबंध लगा चुका है, लेकिन इसके बाद विभाग कार्रवाई करना भूल गया। नालों के किनारे खेती करने वाले किसानों को भी इस कानून की कोई खबर नहीं है। इसलिए वह भी बिना किसी कार्रवाई के डर से गंदे पानी से धड़ल्ले से खेती कर रहे हैं।
सब्जियों में मिले यह तत्व

पानी की शक्ल में नालों में बह रहे सीवरेज में लेड, सल्फर, जिंक, क्रोमियम, केमियम और निकिल जैसे हैवी मेटल्स घुले होते हैं। डिटरजेंट और कास्टिक जैसी हानिकारक चीजें भी पानी के जरिए सब्जियों में जा रही हैं। जो लोगों को धीरे-धीरे, लेकिन गंभीर बीमारियों का शिकार बना देती है। ऐसी सब्जियों के उपयोग से पेचिश, श्वांस संबंधी रोग, शरीर में खून की कमी हो जाती है। नाले के पानी से उगाई गई जहरीली सब्जियां खाने से हड्डियां कमजोर पडऩे के साथ ज्वॉइंडिस का खतरा बढ़ जाता है, जबकि आर्सेनिक लीवर के लिए धीमे जहर जैसा साबित होता है। कास्टिक की अधिकता किडनी को नुकसान पहुंचाती है। 
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