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OMG! दस साल बाद बदलेगा जलदाय विभाग फिल्टर मीडिया

locationकोटाPublished: Jul 20, 2019 12:36:29 am

रावतभाटा में 10 साल बाद जलदाय विभाग को वाटर स्टोरेज में फिल्टर मीडिया बदलने की याद आई है। इस बीच नलों में आए दिन मटमैला पानी आने की शिकायतें बदस्तूर हैं।

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रावतभाटा स्थित जलदाय विभाग का वाटर स्टोरेज

कोटा/रावतभाटा.
कोटा जिले के समीवर्ती और अणु नगरी के नाम से विख्यात रावतभाटा में 10 साल बाद जलदाय विभाग को वाटर स्टोरेज में फिल्टर मीडिया बदलने की याद आई है। इस बीच नलों में आए दिन मटमैला पानी आने की शिकायतें बदस्तूर हैं। खैर, सालों से मटमैला पानी पीने को मजबूर लोग अब घरों में अब जल्द शुद्ध पानी आने की उम्मीद कर सकते हैं। क्योंकि जलदाय विभाग सिंचाई विभाग के राणा प्रताप सागर डेम के पास स्थित वाटर स्टोरेज में फिल्टर मीडिया बदलने जा रहा है। कार्य को लेकर 28 लाख के वर्क ऑर्डर जारी हो गए हैं। अगस्त में कार्य शुरू हो जाएगा। यह कार्य करीब दो माह तक चलेगा। जलदाय विभाग के जेईएन अरविंद मौर्य इसकी पुष्टि करते हुए कहते हैं कि डेम के पास स्थित वाटर स्टोरेज में फिल्टर मीडिया को जल्द बदला जाएगा। इसको लेकर 28 लाख रुपए के कार्य आदेश जारी हो गए हैं। जल्द ही कार्य शुरू हो जाएगा।
अरसे बनी हुई है शिकायत
क्षेत्रवासियों की हमेशा शिकायत रहती है कि बारिश के दिनों में नलों से मटमैला व दूषित पानी आता है। लोग बीमार पड़ते हैं। आमजन ने कई बार जलदाय विभाग के अधिकारियों के समक्ष नाराजगी भी जताई। इसको लेकर अब जलदाय विभाग ने सिंचाई विभाग के डेम के पास स्थित वाटर स्टोरेज में फिल्टर मीडिया बदलने का निर्णय किया है। विभाग का दावा है कि इसके बदलते ही गंदे, दूषित पानी की समस्या से निजात मिल जाएगी। यह कार्य करीब दो माह तक चलेगा। यानी अक्टूबर से लोगों को शुद्ध पानी मिलना शुरू हो जाएगा। जलदाय विभाग के क्षेत्र में पेयजल के 4500 कनेक्शन हैं। वाटर स्टोरेज की शुरुआत करीब 10 साल पहले हुई थी। फिल्टर मीडिया भी उसी समय लगाया था, जो अब पुराना हो चुका है। वाटर स्टोरेज में फिल्टर मीडिया तीन बिड में लगा हुआ है। दो माह में एक-एक करके तीनों बिड में फिल्टर मीडिया बदला जाएगा। ऐसे में आमजन को पेयजल सप्लाई में थोड़ी दिक्कतें भी आ सकती हैं।
प्रतिदिन पहुंचते हैं मरीज अस्पताल
मटमैला व दूषित पानी पीने से रोज लोग बीमार हो रहे हैं। यहां सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में प्रतिदिन करीब 20 मरीज उल्टी, दस्त के पहुंच रहे हैं। यदि इनमें अन्य सरकारी व निजी अस्पतालों के मरीजों को भी शामिल कर दिया जाए तो आंकड़ा काफी बढ़ जाएगा।

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