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इन दिनों रिजर्व में अफ्रीका ( african birds ) से उड़कर आए चातक पक्षी (पाइड कूकू) सुबह-सुबह चहचहाते दिखाई पड़ रहे हैं। इनके आगमन को मानसून आने का संकेत माना जाता है। मानसून से पूर्व यह पक्षी हर साल आते हैं। वन्यजीव प्रेमी बताते हैं कि मानसून से पूर्व हर साल हजारों की संख्या में विभिन्न प्रजातियों के प्रवासी पक्षी आते हैं। यह पक्षी मई के अंतिम सप्ताह से आना शुरू होते हैं। सितम्बर तक यहीं प्रवास करते हैं। इस दौरान प्रजनन करते हैं और फिर सर्दी की शुरुआत के साथ ही वापस चले जाते हैं।
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इसलिए पसंद है मुकुन्दरा
पगमार्क फाउंडेशन के संयोजक देवव्रतसिंह हाड़ा ने बताया कि मुकुन्दरा जैव विविधताओं से भरा है। यहां भरपूर मात्रा में पानी व हरियाली ( Water and greenery ) है। ऐसे में प्रवासी पक्षियों ( Migratory birds ) के भोजन के लिए कीड़े-मकौड़े पर्याप्त मात्रा में हैं। बारहमास बहने वाली जलधाराएं होने से प्रजनन के लिए पक्षियों के लिए मुकुन्दरा मुफीद जंगल है।
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और भी पक्षी आए
हाड़ा ने बताया कि कई पक्षी दूसरे पक्षियों के पीछे भी आते हैं। इनमें यूरेशियन कूकू, ( eurasian cuckoo ) जैकोबिन कूकू ( jacobin cuckoo birds ) प्रमुख हैं। ये अपना घोसला नहीं बनाते। दूसरे पक्षियों के घोसलों में अंडे देते हंै। इसलिए प्रवासी पक्षियों के पीछे ये भी चले आते हैं। इनके अलावा इंडियन पिट्टा, यूरेशियन गोल्डन ऑरिऑल, कॉमन हॉक कूकू, चैस्ट नट टेल्ड स्टारलिंग, ब्लू रॉक थ्रश, सल्फर बिल्द वार्बलर आदि शामिल हैं। प्रवासी पक्षी मुकुन्दरा, भैंसरोडगढ़ के साथ सरिस्का, रणथम्भौर अभयारण्य में भी आते हैं।
पर्यावरण के लिए कड़ी है प्रवास
वन्यजीव फोटोग्राफर आकाश गौतम ने बताया कि मानसून के दौरान पक्षियों के प्रजनन का सिलसिला अनवरत चला आ रहा है। इससे इन पक्षियों की संख्या में इजाफा उपयुक्त स्थलों पर होता रहता है। यह प्रवास पर्यावरण के लिए अहम कड़ी का काम करता है। इन आवासों के खत्म होते ही जंगलों व पर्यावरण पर बुरा असर पड़ता है।
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एक्सपर्ट व्यू : कुछ पक्षी देते हैं संकेत
कुछ पक्षी बरसात के आने का संकेत देते हैं। हालांकि यह कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है, लेकिन एक मान्यता है कि कुछ पक्षी हैं जो बरसात से पहले नजर आने लगे तो माना जाता है कि बरसात होने वाली है, ये जितना जल्दी आ जाते हैं और जितना ठहरते हैं, माना जाता है कि उतनी ही ज्यादा बरसात होगी।
ए.एच. जैदी, नेचर प्रोमोटर