रावतभाटा रोड पर आंवली-रोझड़ी से लेकर उम्मेदगंज नहर तक राष्ट्रीय राजमार्ग पर करीब 15 किलोमीटर क्षेत्र में पौधारोपण कार्य छह साल पहले शुरू हुआ था। राष्ट्रीय राजमार्ग के दोनों तरफ एक किलोमीटर दूरी में कुल दो हजार हेक्टेयर क्षेत्र में वन विभाग ने तीन लाख पौधे लगाने का लक्ष्य रखा है। अब तक 740 हेक्टेयर क्षेत्र में 50 हजार से ज्यादा पौधे लगाए जा चुके है,जिनकी लंबाई तीन से लेकर दस फीट हो चुकी है। इस बार मानसून में 480 हेक्टेयर क्षेत्र में 60 हजार से ज्यादा पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है।
शहर के दक्षिणी हिस्से में रावतभाटा रोड, झालावाड़ रोड और डाढ़देवी मंदिर रोड तक वन विभाग की हजारों हैक्टेयर पथरीली भूमि है। वन विभाग की अनदेखी का फायदा उठाकर रावतभाटा और झालावाड़ रोड पर सैकड़ों हैक्टेयर भूमि पर लोगों ने अतिक्रमण कर लिया।
स्वयंसेवी संस्थाओं ने गोद लिया वनविभाग ने इस जमीन पर वर्ष 2016 से विभिन्न टुकड़ों में पौधारोपण शुरू किया गया। विभाग ने शहर की हमलोग, गायत्री परिवार, कोटा यूथ सोसायटी, गणेशनगर उद्यान समिति, कोटा सिटी ब्लॉग समेत विभिन्न संस्थाओं को इन पौधों के रखरखाव की जिम्मेदारी दी। पिछले दो साल में इस इलाके में पथरीली जमीन की जगह हरियाली नजर आने लगी है।
पत्थरों में ब्लास्ट कर गड्ढे खोदे
पथरीली जमीन होने के कारण यहां पौधे लगाना चुनौतीपूर्ण था। वन विभाग ने यहां पत्थरों में विस्फोट कर एक गुणा एक वर्गमीटर के गहरे और चौड़े गड्ढे खुदवाए और उसमें उपजाऊ मिट्टी भरवाई। इसके बाद पौधे लगाए गए। इस तरह की तकनीक प्रदेश में जोधपुर के माचिया बायोलोजिकल पार्क में भी अपनाई गई है।
पथरीली जमीन होने के कारण यहां पौधे लगाना चुनौतीपूर्ण था। वन विभाग ने यहां पत्थरों में विस्फोट कर एक गुणा एक वर्गमीटर के गहरे और चौड़े गड्ढे खुदवाए और उसमें उपजाऊ मिट्टी भरवाई। इसके बाद पौधे लगाए गए। इस तरह की तकनीक प्रदेश में जोधपुर के माचिया बायोलोजिकल पार्क में भी अपनाई गई है।
25 करोड़ होंगे खर्च
वन विभाग ने पौधारोपण के साथ ही इनकी सुरक्षा के लिए चारों तरफ चारदीवारी बनाई है। इस पर करीब 25 करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं। वन विभाग नियमित रूप से टैंकर से पौधों को पानी पिला रहा है। इस प्रयास से वन भूमि पर अतिक्रमण पर अंकुश भी लगा है।
वन विभाग ने पौधारोपण के साथ ही इनकी सुरक्षा के लिए चारों तरफ चारदीवारी बनाई है। इस पर करीब 25 करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं। वन विभाग नियमित रूप से टैंकर से पौधों को पानी पिला रहा है। इस प्रयास से वन भूमि पर अतिक्रमण पर अंकुश भी लगा है।
दो एनिकट की योजना
विभाग इस वन क्षेत्र में गुजर रहे भड़क्या खाळ में दो एनिकट बनाने की योजना बना रहा है। इससे जलस्तर बनेगा, वहीं पेड़-पौधों को पानी पिलाने में सहूलियत रहेगी। इस सम्बन्ध में स्थानीय विधायकों से उनके कोष से राशि देने का आग्रह किया गया है।
विभाग इस वन क्षेत्र में गुजर रहे भड़क्या खाळ में दो एनिकट बनाने की योजना बना रहा है। इससे जलस्तर बनेगा, वहीं पेड़-पौधों को पानी पिलाने में सहूलियत रहेगी। इस सम्बन्ध में स्थानीय विधायकों से उनके कोष से राशि देने का आग्रह किया गया है।
ये पौधे लगाए
नीम, शीशम, चुरेल, बरगद, पीपल खैर, पलाश, धाक, रांज,कुमठा के पौधे शामिल हैं। इसके अलावा जंगल के लिए कई तरह की घास, वनस्पति और झाडिय़ां भी उगाई गई है।
वन विभाग ने नेशनल हाइवे के दोनों तरफ एक किलोमीटर क्षेत्र में जंगल विकसित कर रहा है। अब तक 740 हेक्टेयर क्षेत्र में पौधे लगाए जा चुके है। आगामी जुलाई में 480 हैक्टेयर क्षेत्र में 60 हजार पौधे लगाए जाएंगे।
रवि मीणा, मंडल वन अधिकारी कोटा
नीम, शीशम, चुरेल, बरगद, पीपल खैर, पलाश, धाक, रांज,कुमठा के पौधे शामिल हैं। इसके अलावा जंगल के लिए कई तरह की घास, वनस्पति और झाडिय़ां भी उगाई गई है।
वन विभाग ने नेशनल हाइवे के दोनों तरफ एक किलोमीटर क्षेत्र में जंगल विकसित कर रहा है। अब तक 740 हेक्टेयर क्षेत्र में पौधे लगाए जा चुके है। आगामी जुलाई में 480 हैक्टेयर क्षेत्र में 60 हजार पौधे लगाए जाएंगे।
रवि मीणा, मंडल वन अधिकारी कोटा