प्लाज्मा बनी संजीवनी, 80 प्रतिशत मरीज हो गए रिकवर
कोरोना काल में कोटा शहर में प्लाज्मा थैरेपी कोरोना मरीजों के लिए संजीवनी बनी है। कोरोना पॉजिटिव मरीजों को प्लाज्मा चढ़ाने के बाद 80 प्रतिशत रिकवर हो गए। यह कोरोना मरीजों के लिए वरदान साबित हुई है। जबकि 20 प्रतिशत मरीज अति गंभीर स्थिति में होने के कारण रिकवर नहीं हो सके।

कोटा. कोरोना काल में कोटा शहर में प्लाज्मा थैरेपी कोरोना मरीजों के लिए संजीवनी बनी है। कोरोना पॉजिटिव मरीजों को प्लाज्मा चढ़ाने के बाद 80 प्रतिशत रिकवर हो गए। यह कोरोना मरीजों के लिए वरदान साबित हुई है। जबकि 20 प्रतिशत मरीज अति गंभीर स्थिति में होने के कारण रिकवर नहीं हो सके। कोटा मेडिकल कॉलेज के अनुसार, कोटा में अब तक 568 यूनिट प्लाज्मा कलेक्शन हो चुका है। इसमें से 562 मरीजों को प्लाज्मा चढ़ाया जा चुका है। इनमें से 220 कम गंभीर मरीजों को प्लाज्मा चढ़ाया गया। इनमें से 80 प्रतिशत मरीज रिकवर हो चुके है। जबकि 100 अति गंभीर मरीज को प्लाज्मा चढ़ाया गया। इनमें से भी 30 प्रतिशत मरीज रिकवर हो गए। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के प्रयासों से आईसीएमआर से कोटा में प्लाज्मा थैरेपी की अनुमति मिली। जुलाई के प्रथम सप्ताह से मरीजों को प्लाज्मा थैरेपी चढ़ाने का कार्य शुरू किया गया। उसके बाद प्लाज्मा को लेकर कारवां जुड़ता गया।
- प्लाज्मा थैरेपी क्या है...
कोविड पॉजिटिव मरीज, जो नेगेटिव हो चुका है। उसकी रिपोर्ट दो नेगेटिव आ चुकी हो और उसके 28 दिन पूरे हो चुके हो, वहीं स्वस्थ व्यक्ति ही प्लाज्मा डोनेट कर सकता है। उसके कुछ टेस्ट होने के बाद उसके ब्लड पार्ट से प्लाज्मा अलग से निकालते है। उसमें रोग मारक क्षमता होती है। उसे कोविड मरीज को चढ़ाया जाता है।
दो कारणों से चढ़ाते प्लाज्मा
पहला: ऐसे मरीज जो आरटीपीसीआर से पॉजिटिव हो, जो संदिग्ध न्यूमोनिया, न्यूमोनिया व मल्टी आर्गेन फेल्योर हो।
दूसरा: ऐसे मरीज जो नेगेटिव होने के बावजूद आरटीपीसीआर में क्लिनिकल व रेडियोलॉजी पिचर्स पूरी तरह से कोविड के फेवर में हो।
इन तीन कारणों से अच्छे परिणाम आए
मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के विशेषज्ञों ने अध्ययन किया कि कोरोना पॉजिटिव मरीजों में समय पर अस्पताल पहुंचने, समय पर ऑक्सीजन, रिक्वायरमेंट वेन्टिलेशन अच्छे होने के कारण थैरेपी के परिणाम अच्छे आए है। जबकि मृत्यु में देरी से अस्पताल पहुंचने, मल्टीआर्गेन फ्लोयर, एडवांस डिजिज, आरडीएस हो रखा था। ऐसे केसों में उन्हें सहायता नहीं मिल पाई।
इनका यह कहना
कोटा में प्लाज्मा डोनेशन के प्रति डोनर में काफी उत्साह देखा गया। वे खुद आगे बढ़कर प्लाज्मा डोनेशन के लिए पहुंचे। इसी का परिणाम है कि कोटा के अलावा अन्य जिलों में मांग के अनुसार मरीजों को प्लाज्मा भेजा गया। प्लाज्मा थैरेपी के अच्छे परिणाम सामने आए है। 80 प्रतिशत मरीज थैरेपी से रिकवर हो गए।
- डॉ. विजय सरदाना, प्राचार्य, मेडिकल कॉलेज, कोटा
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