हिसारिया परिवार ने 42 लाख रुपए की आर्थिक सहायता दी रघुराज सिंह हाड़ा ने हिंदी और राजस्थानी दोनों भाषाओं के विकास में अपना महति योगदान दिया। उनके संग्रह बोलते पत्थर, अनुताप, हरदौल आखर, केसुला का फूूल, रोटी और फूल राजस्थानी साहित्य की अनुपम धरोहर हैं। कवि सम्मेलनों में उन्हें सुनने के लिए जनसैलाब उमड़ पड़ता था। उनकी कविताएं बंजारा, भील-भीलनी, काजली तीज, कबूतराँ को जोड़ों को आज भी जन-जन में प्रसिद्ध हैं।