भाजपा कार्यकर्ताओं ने ही हराया
बीजेपी वालों ने ही हमें हराया है। चुनाव में हमारी व्यापक स्तर पर कार सेवा हुई है। इसका पता मतदान से दो दिन पहले चला, तब तक स्थिति कन्ट्रोल से बाहर हो गई थी। 5 दिसम्बर को ही पता चल गया था कि चुनाव हार रहे हैं। भाजपा के ही कार्यकर्ताओं ने लोगों को रात तीन बजे तक मंदिरों में ले जाकर भाजपा प्रत्याशी को वोट नहीं देने की कसमें डलवाई गई। हार के लिए नाम किसी का नहीं लूंगा, सब जानते हैं।
अतुल कौशल, भाजपा पार्षद
हार के कारणों पर कर रहे हैं मंथन
उत्तर की जीत को लेकर आश्वस्त थे। हार अप्रत्याशित है। हार का कारण हम भी नहीं समझ पा रहे हैं। विकास के कार्य बहुत हुए है। जनता के मन में क्या चल रहा है, यह हम नहीं पढ़ पाए। चुनाव परिणाम की रात को ही उत्तर के पूर्व विधायक से भी चर्चा हुई, वह भी हार का कारण नहीं समझ पा रहे हैं। बैठक बुलाकर हार के कारणों पर चर्चा करेंगे। इसमें सभी कार्यकर्ताओं को बुलाएंगे। हार के संबंध में एक पत्र तैयार किया गया है, शुक्रवार को कार्यकारिणी की बैठक में इसे रखा जाएगा। कौशल क्या कह रहे हैं, इसका जवाब नहीं दे सकता हूं।
हेमंत विजयवर्गीय, अध्यक्ष भाजपा
इस चुनाव में सरकार के प्रति जनता की नाराजगी साफ नजर आ रही थी। जीत का अंतर कम होने का यह भी एक कारण है। साथ ही, कार्यकर्ताओं की विधायक को लेकर भी नाराजगी थी। टिकट वितरण से पहले पार्टी ने सर्वे करवाए थे, लेकिन बाद में जिस तरह प्रत्याशी उतारे गए थे, इससे कार्यकर्ताओं को लगा कि वह केवल दिखावा था। इस कारण कार्यकर्ताओं ने सम्मेलन कर विरोध जताया था। इस चुनाव में जीत का अंतर कम होना चिंता का विषय है। इस पर सांसद ओम बिरला व पदाधिकारियों के साथ बैठक कर विचार-विमर्श करेंगे। लोकसभा चुनाव कैसे जीतेंगे, इसकी तैयारी शुरू करेंगे।
विवेक राजवंशी पार्षद