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बाघों की मौत पर अब सियासत तेज, भाजपा आक्रमक

locationकोटाPublished: Aug 05, 2020 11:43:26 am

Submitted by:

Jaggo Singh Dhaker

एक शावक का पता नहीं लगा पा रहे अधिकारी। मामला केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री तक पहुंचा। उच्च स्तरीय जांच की मांग उठ रही है।

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दरा रेंज कार्यालय पर प्रदर्शन

कोटा. मुकुंदरा हिल्स नेशनल टाइगर रिजर्व में बाघ और बाघिन की मौत के बाद इस मुद्दे पर सियासत तेज हो गई है। भाजपा नेताओं ने इसे मुद्दा बना लिया है। कोटा दक्षिण के विधायक संदीप शर्मा ने मुकुंदरा टाइगर रिजर्व में बाघ-बाघिन की मौत के मामले में चिंता जताते हुए कहा कि सरकार के स्तर पर लापरवाही हुई है। केवल दो अधिकारियों को हटाने और एक कनिष्ठ अधिकारी को निलम्बित करने की कार्रवाई दिखावटी है। बाघों की मौत की सरकार जिम्मेदारी लें। मौत के कारणों की तह तक जाने की जरूरत है।
भाजपा देहात के कार्यकर्ताओं ने इस मुद्दे को लेकर दरा रेंज कार्यालय पर प्रदर्शन करके जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग उठाना शुरू कर दिया है। कोटा के भाजपा देहात जिलाध्यक्ष मुकुट नागर ने कहा, मुश्किलों से यहां बाघों का पुनर्वास हुआ है। अब अधिकारी यहां हाड़ौती के सपनों और वन्यजीवों के जीवन से खिलवाड़ नहीं करें। राज्य सरकार जागे और हालातों तेजी से सुधार के प्रयास करें।
इसके साथ ही यह मामला केन्द्रीय पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री तक पहुंच गया है। कोटा-बून्दी लोकसभा के पूर्व सांसद इज्यराज सिंह ने मुकुंदरा में बाघों की मौत को लेकर केन्द्रीय पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को अवगत कराते हुए उच्च स्तरीय जांच की मांग रखी है। उन्होंने कहा, इस मामले में लापरवाहों की जिम्मेदारी तय हो और उनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। साथ ही जो 2 शावक बचे हैं। उनका पालन एवं सुरक्षा की जिम्मेदारी भी तय की जाए ताकि वन्यजीव सुरक्षित रह सकें।
बीमार बाघ की अनदेखी की गई: इज्यराज सिंह
पूर्व सांसद इज्यराज सिंह ने मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व में हुई बाघों की मौत एवं अभयारण्य में हो रही अनियमितताओं के बारे में पत्र भी लिखा है। उन्होंने कहा, गत 23 जुलाई को एक बाघ एमटी-3 मृत पाया गया था, जो तीन दिनों से अस्वस्थ था। जबकि पोस्टमार्टम की रिपोर्ट में पाया गया कि बाघ की मौत फैफ ड़ों में संक्रमण व हृदय गति रुकने से हुई है। सिंह ने लिखा कि यदि बीमार बाघ की अनदेखी नहीं की होती और लक्षणों के आधार पर विशेषज्ञों द्वारा समय पर जांच करके इलाज किया जाता तो शायद बाघ को बचाया जा सकता था। मौत के स्पष्ट कारणों को जानने के लिए बाघ का विसरा जांच के लिए भेजा गया था, जिसकी रिपोर्ट अभी तक रिजर्व कार्यालय को प्राप्त नहीं हुई है, जबकि विसरा जांच की रिपोर्ट विभाग को तत्परता से मांगनी चाहिए थी।
वन्यजीव प्रेमी बोले कैसे टूटा सुरक्षा चक्र
वन्यजीव प्रेमी बृजेश विजयवर्गीय और एडवोकेट वैभव सिंघल ने आरोप लगाया है कि अभयारण्य में सुरक्षा चक्र के बीच जहां आम आदमी को प्रवेश की अनुमति नहीं होती है, ऐसे में सुरक्षा चक्र कैसे टूट गया। इससे विभाग की निगरानी व्यवस्था पर सवालिया निशान उठ रहे हैं। एेसे में बाघों के गले में लगाए गए रेडियो कॉलर का क्या औचित्य है।
पूर्व विधायक नागर गरजे
उधर, पूर्व विधायक हीरालाल नागर ने बाघ-बाघिन की मौत के मामले में दो अधिकारियों को एपीओ करने और एक को निलंबित करने की कार्रवाई पर असंतोष जताते हुए कहा कि सभी जिम्मेदार अधिकारियों को तत्काल निलम्बित किया जाए। उच्च स्तरीय कमेटी गठित कर जांच करवाई जाए।
कल्पना देवी ने मुख्यमंत्री को पत्र लिख
लाडपुरा विधायक कल्पना देवी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर मुकुंदरा रिजर्व के हालात सुधारने की जरूरत बताई है। उन्होंने कहा, अधिकारियों की लापरवाही से वन्यजीव खतरे में है। यदि कोई बीमारी फैली है तो जल्द उसका पता लगाया जाना चाहिए।
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