वहीं नगर निगम में मौजूदा आधे से ज्यादा पार्षद चुनाव लडऩे के लिए वार्ड बदलने की तैयारी में है। कई पार्षद तो ऐसे है कि पांच साल तक को जनता से दूरी बनाए गए अब चुनाव मैदान में जनता से सामना करने की बारी आई तो दूसरे वार्डों में राजनीतिक जमीन तलाश रहे हैं।
निकायों में हर चुनाव में वार्डों का पुननिर्धारण होता है और उसके आधार पर लॉटरी निकाली जाती है। इस कारण एक बार पार्षद निर्वाचित होने के बाद वह उस वार्ड में विकास पर कोई ज्यादा ध्यान नहीं देता है और जनता के बीच में भी नहीं जाते हैं और जनता की समस्याओं के समाधान पर भी कोई ध्यान नहीं देते हैं। कांग्रेस और भाजपा जिलाध्यक्षों की ओर से पिछले एक सप्ताह से दावेदारों के आवेदन लिए जा रहे हैं। इसमें कई पार्षदों ने दूसरे वार्डों से दावेदारी जताई है।
–यह है हकीकत राजस्थान पत्रिका टीम ने शहर के 65 वार्ड पार्षदों के बारे में वार्ड की जनता से फीडबैक लिया तो सामने आया कि आधे पार्षद तो ऐसे है जो जनता के फोन तक नहीं उठाते हैं। कभी फोन उठा भी लेते है तो समस्या के समाधान करवाने का कोई प्रयास नहीं करते हैं। जबकि कई पार्षद अपने वार्ड में काफी सक्रिये रहते हैं। फोन पर शिकायत पर मोटरसाइकिल पर बिठाकर सफाई कर्मचारी तक को लाकर समस्या का समाधान करवाते हैं।
–पार्षदों ने रख ली स्टेपनी कई पार्षदों ने भी अपनी व्यस्तता का हवाला देकर वार्डों में स्टेपनी के रूप में किसी कार्यकर्ता को लगा दिया है। वह कार्यकर्ता ही सफाई से लेकर पार्षद के सारे काम करता है। विभिन्न तरह के आवेदन पत्रों तक भी मुहर लगाने का काम स्टेपनी कार्यकर्ता ही करते हैं। ज्यादातर महिला पार्षदों का काम उनके पति देखते हैं। कुछ महिला पार्षद तो निगम की बैठकों में भी आने लग गए थे, लेकिन अधिकारियों की आपत्ति के बाद बैठकों में आना बंद कर दिया है।
–किसी भी प्रमाण पत्र के लिए नहीं लगाने पड़ेंगे चक्कर पार्षद विवेक राजवंशी और गोपाल राम मण्डा ने तो अपने-अपने वार्ड में जनता की सुविधा के लिए नवाचार किया है। वार्ड 54 और 24 में किसी भी व्यक्ति का जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने के लिए निगम के चक्कर नहीं लगाने पड़ते हैं। वार्ड में ही कार्यालय खोल रखा है।
यहां एक कर्मचारी बिठा रखा है तो लोगों से फोन पर ही इस तरह की सूचना लेकर आवेदन पत्र तैयार कर निगम में भिजवाते हैं और प्रमाण पत्र तैयार कर घर पहुंचाते हैं। पानी-बिजली, सफाई की शिकायत के लिए हैल्पलाइन भी बना रखी है। उप महापौर सुनीता व्यास ने भी अपने आवास पर ही हैल्प सेन्टर बना रखा है।
प्रतिपक्ष नेता अनिल सुवालका ने तो विधानसभा चुनाव के बाद नदीपार क्षेत्र के वार्डों की समस्या के समाधान के लिए नया कार्यालय शुरू किया है। राममोहन मित्रा, राखी गौतम, महेश गौतम लल्ली, बृजेश शर्मा नीटू, रमेश आहूजा, नरेन्द्र हाड़ा, विनोद नायक ने भी जनता की समस्या के समाधान के कार्यालय खोल रखे हैं, लोगों के फोन पर आने पर उनके कार्यकर्ता पहुंचकर समाधान करवाने का प्रयास करते हैं।