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निजी स्कूलों ने बच्चों से छीना शिक्षा का अधिकार, दाखिला देकर स्कूल से निकाला

locationकोटाPublished: Sep 16, 2017 12:55:26 pm

Submitted by:

​Vineet singh

कोटा के 28 प्राईवेट स्कूलों ने शिक्षा के अधिकार में दाखिला देने के बाद 90 बच्चों का एडमिशन केंसिल कर दिया।

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Private schools took out children by enrolling in Right to Education

सरकारी स्कूलों के निजीकरण में जुटी सरकार निजी स्कूलों की अराजकता पर भी लगाम नहीं कस पा रही है। कोटा के 28 प्राईवेट स्कूलों ने कागजी खानापूर्ति करने के लिए शिक्षा के अधिकार में पहले बच्चों को दाखिला दे दिया और काम निकलने के बाद 90 बच्चों को स्कूल से निकाल दिया। राजस्थान के प्रधान महालेखा कार्यालय की ऑडिट टीम ने जब इन स्कूलों की जांच की तो इसका खुलासा हुआ। अब बच्चों और अभिभावकों से इसकी वजह पता करने के लिए नए सिरे से जांच की जा रही है।
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जांच को पहुंची जयपुर की टीम 

प्रधान महालेखा कार्यालय जयपुर की ऑडिट टीम ने कोटा में तीन दिन तक डीईओ प्रारंभिक कार्यालय व निजी स्कूलों में आरटीई के तहत नि:शुल्क प्रवेशित बच्चों की जांच की। जांच में कई गड़बडि़या सामने आई। जांच के दायरे में आए निजी स्कूलों में आरटीई के तहत प्रवेशित बच्चों को नि:शुल्क पढ़ाने के आदेश दिए थे, लेकिन ऑडिट टीम की जांच में यह बच्चे गायब मिले। इस पर टीम ने अधिकारियों को दोबारा इन स्कूलों के जांच के आदेश दिए है और रिपोर्ट जयपुर तलब की है। प्रदेश में पहली बार ऑडिट टीम स्कूलों मेंं पहुंची है। टीम की सूचना को गुप्त रखा गया है।
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गायब मिले 90 बच्चे

टीम में लेखाकार, जूनियर लेखाकार ने शुक्रवार को डीईओ कार्यालय में पोषाहार, नि:शुल्क पाठ्यपुस्तक वितरण, मान्यता को देखा। टीम निजी स्कूल में आरटीई के तहत नि:शुल्क प्रवेशित बच्चों को भी देखने पहुंची है। टीम ने डीईओ कार्यालय के कार्यों की ऑडिट की। उसके बाद उसने दो स्कूलों में आरटीई के तहत नि:शुल्क प्रवेशित बच्चों का विद्यालय से छोडऩा पाया गया। जिस पर पुन: जांच करने के आदेश जारी कर बालक व उनके पिता से स्पष्ट टिप्पणी या सहमति मांगी गई है और पूरी रिपोर्ट जयपुर तलब की है।
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ये था मामला 

राज्य सरकार ने सत्र 2015-16 में जांच के दायरे में आए 28 निजी स्कूलों में नि:शुल्क प्रवेशित बच्चों की एक वर्ष तक जांच कराई गई थी। जांच में 90 बालकों का प्रवेश निरस्त किया गया था। विद्यालय को इनको नि:शुल्क शिक्षा उपलब्ध करवाना था।
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