scriptसाइको किलर की फांसी की सजा बरकरार | Psycho killer's death sentence remains intact from high court | Patrika News

साइको किलर की फांसी की सजा बरकरार

locationकोटाPublished: Aug 13, 2020 07:48:59 pm

Submitted by:

Deepak Sharma

कोटा. विज्ञान नगर क्षेत्र में गत वर्ष महिला की नृशंस हत्या कर शव को बोरी में भरकर फेंकने वाले क्रूर हत्यारे खानाबदोश महावीर सिंह उर्फ मोहन को कोटा पोक्सो न्यायालय क्रम संख्या-5 द्वारा दी गई फांसी के फैसले को हाईकोर्ट ने भी बरकरार रखा है।

साइको किलर की फांसी की सजा बरकरार

साइको किलर की फांसी की सजा बरकरारपोक्सो न्यायालय क्रम संख्या पांच के फैसले पर हाईकोर्ट की भी मुहर

कोटा. विज्ञान नगर क्षेत्र में गत वर्ष महिला की नृशंस हत्या ( murder ) कर शव को बोरी में भरकर फेंकने वाले क्रूर हत्यारे खानाबदोश महावीर सिंह उर्फ मोहन को कोटा पोक्सो न्यायालय ( pocso court ) क्रम संख्या-5 द्वारा दी गई फांसी के फैसले को हाईकोर्ट ( rajasthan high court ) ने भी बरकरार रखा है।
विशिष्ट लोक अभियोजक सुरेश वर्मा ने बताया कि प्रकरण में अपराध की जघन्यता व लगातार नृशंस हत्याओं को अंजाम देने को गंभीरता से लेते हुए कोटा पोक्सो न्यायालय क्रम संख्या-5 ने आरोपी को 28 फरवरी 2020 को फांसी की सजा व 20 हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया था। फांसी जैसी कड़ी सजा को कोटा न्यायालय के बाद हाईकोर्ट ने भी सही मानते हुए इसे बरकरार रखा। संभवतया कोटा न्यायालय के फांसी के फैसले पर पहली बार हाईकोर्ट ने भी मुहर लगाई है।
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ये था मामला

रेलवे कॉलोनी थानाधिकारी व तत्कालीन जांच अधिकारी मुनीन्द्र सिंह ने बताया कि 24 मई 2019 को विज्ञान नगर के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के पीछे एक कट्टे में शव मिला। इस मामले में कई सीसीटीवी कैमरे खंगाले और एक सीसीटीवी में एक व्यक्ति कंधे पर बोरा रखकर जाते हुए दिखाई दिया। वहीं आदमी गोबरिया बावड़ी में भी एक महिला से बातचीत करता हुआ दिखाई दिया। पुलिस ने आरोपी की तलाश में दिन-रात एक कर दिया। आरोपी का कोई स्थाई निवास नहीं होने से पुलिस को खूब मशक्कत करनी पड़ी। 10 जून 2019 को आरोपी को कुन्हाड़ी से गिरफ्तार किया। आरोपी ने महिला की हत्या के बाद उसके सोने के टॉप्स देकर सेल्समैन से शराब लेकर पी थी।
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मां-बेटी की हत्या कबूली, खुली जेल से हुआ फरार

आरोपी ने उद्योग नगर में 1997 में सूरसागर में मां-बेटी की नृशंस हत्या की वारदात कबूली। इसके अलावा उसने 2003 में निम्बाहेड़ा में एक महिला के साथ बलात्कार (rape) कर उसकी हत्या कर दी थी। इसी मामले में आरोपी को आजीवन कारावास की सजा काट रहा था और बाद में खुली जेल ( open jail ) से भाग निकला था।
सुधरने की नहीं है गुंजाइश

कोटा में सजा के दौरान न्यायाधीश कैलाश चंद मिश्रा ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि आरोपी की सुधरने की कोई गुंजाइश नहीं है। आरोपी साइको किलर ( psycho killer ) के रूप में हत्याएं करता है। आरोपी का अपराध अत्यधिक क्रूर, पैशाचिक और गरीब तबके की मजदूर महिलाओं को झकझोर देने और भयभीत करने वाला था। ऐसे जघन्य अपराध पर न्यायालय आंख पर पट्टी बांधकर नहीं बैठ सकता। इसका सख्त संदेश देना न्यायालय का कर्तव्य है।
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