कोटा

#नोटबंदीः दोस्तों और पड़ोसियों की मदद से पीले किए थे बेटी के हाथ, कैसे भूलों वो रात

अचानक हुई नोटबंदी से तमाम परिवार ऐसे भी थे जिन्हें खासी मुसीबतें झेलनी पड़ीं। खासतौर पर उन्हें जिनके घर शादियां थीं।

कोटाNov 08, 2017 / 01:15 pm

​Vineet singh

Public Reaction on Demonetisation

पिछले साल 8 नवम्बर की मध्य रात नोटबंदी होने के बाद शहर के शादी वाले घरों में मांगलिक आयोजनों को लेकर परिजन मुश्किल में पड़ गए थे। नोटबंदी के एक साल बाद भी वो लोग इसे नहीं भूले हैं। उन्होंने कैसे शादी के आयोजनों के लिए व्यवस्था की।
यह भी पढ़ें
नोटबंदी के बाद सरकार ने बनाई ये घातक प्लानिंग, जल्द होगी लागू

नहीं भूले वो रात

दुनिया की सबसे बड़ी व एेतिहासिक मुद्रा क्रांति (नोटबंदी) को आज पूरा एक साल हो गया। नोटबंदी के बाद देशभर में उपजे हालातों से हरवर्ग परेशान हुआ। उस समय इसे देश में ज्यादा समर्थन नहीं मिला। वहीं नोटबंदी के बाद देश की विकास दर में गिरावट आई, बेरोजगारी बढ़ी। कारोबार ठप पड़ गया। लोगों को नकदी के लिए परेशान होना पड़ा। इसके बावजूद ग्राहक व व्यापारियों ने परेशानी झेलते हुए भी इसे देशहित में स्वीकार किया। ई-बैंकिंग की ओर कमद बढ़ाए। हालात अब सामान्य होने लगे हैं, लेकिन तमाम लोग शायद ही पूरी जिंदगी नोटबंदी का फैसला लागू होने वाली रात को भुला सकें।
यह भी पढ़ें
#नोटबंदीः कोटा में पकड़ी गई थी 400 करोड़ की ब्लैक मनी, बैंकों में जमा हुए 750 करोड़ के पुराने नोट

दोस्त-पड़ोसी मदद नहीं करते तो हो जाता बर्बाद

कुन्हाड़ी निवासी सतीश जोशी बताते हैं कि उनकी बेटी का विवाह 23 नवम्बर 2016 को था। अचानक नोटबंदी से उनकी मुश्किल बढ़ गई। वो 8 नवम्बर की दोपहर बैंक से 3 लाख रुपए निकला कर लाए थे, लेकिन जैसे ही नोटबंदी हुई, नोट वापस जमा करवाने के लिए कतार में लगना पड़ा। इस दौरान परिजन चिंतित हो गए कि इतने नोटों का बंदोबस्त कैसे होगा। बैंकों से 24 हजार रुपए देने की सरकार ने घोषणा की, लेकिन केश कम आने से 5-5 हजार रुपए ही मिल रहे थे। ऐसे में अपने सहयोग को आगे आए। करीब 10-12 दोस्तों ने 11-11 हजार रुपयों का सहयोग किया। पड़ोसी भी मदद को आगे आए। टेंट, किराना, केटर्स को बाद में भुगतान करने को कहा। उस समय बेटी के हाथ कैसे पीले किए आज तक याद है।
यह भी पढ़ें
#नोटबंदीः सोनम गुप्ता से भी बड़े बेवफा निकले ‘साहब’

टालनी पड़ी थी शादी

नोटबंदी के चलते अहीर समाज का युवक-युवती परिचय सम्मेलन व सामूहिक विवाह आगे बढ़ाना पड़ा था। हाड़ौती अहीर सभा कोटा के विवाह आयोजन समिति के तत्कालीन पदाधिकारी महावीर यादव बताते हैं कि समाज का युवक-युवती परिचय सम्मेलन 20 नवम्बर को होना था, लेकिन अचानक नोटबंदी से आर्थिक तंगी हो गई। ऐसे में परिचय सम्मेलन को दो माह बाद करने का फैसला लिया। इसी तरह दो फरवरी को समाज का सामूहिक विवाह सम्मेलन होना था, लेकिन वर-वधु के परिजनों ने आर्थिक तंगी के चलते हाथ खड़े कर दिए। 100 जोड़ों का लक्ष्य था, लेकिन 45 ही जोड़े आ सके। विवाह सम्मेलन की तारीख भी 2 फरवरी से बढ़ाकर 29 अप्रेल करनी पड़ी थी।
Read More: बेटे के सामने मां से किया गैंग रेप फिर उतारा मौत के घाट, कोर्ट ने सुनाई मौत की सजा

अभी भी सदमे में है देश की अर्थव्यवस्था

अर्थशास्त्री गोपाल सिंह की मानें तो देश की अर्थव्यवस्था अभी भी नोटबंदी के सदमे में हैं। देश की विकास दर 7 से घटकर 5.7 फीसदी रह गई है। नोटबंदी से डिजिटलाइजेशन तो बढ़ा है, लेकिन सरकार और बैंक ही नहीं ईपेमेंट ब्रोकर कंपनियां तक लेनदेन के बदले कमीशन वसूलने में जुट गई हैं। सरकार एक तरफ तो डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने की बात कर रही है, वहीं दूसरी तरफ लोगों की जेब भी काट रही है, क्या ये उचित है। बैंक में पैसा जमा करना है तो कमीशन दो, निकालना है तो कमीशन दो। इससे पैसे का चलन थम जाता है और बाजार धीमा पड़ जाता है। रोजगार तो घटते ही हैं, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मुद्रा की कीमत भी गिरती है।

संबंधित विषय:

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.