scriptवाटर ट्रेन बनाने वाले रेलकर्मी हर रोज दो घंटे कर रहे श्रमदान | Rail workers making water trains are doing shramdaan for two hours eve | Patrika News

वाटर ट्रेन बनाने वाले रेलकर्मी हर रोज दो घंटे कर रहे श्रमदान

locationकोटाPublished: Aug 14, 2020 11:04:32 pm

Submitted by:

Jaggo Singh Dhaker

पश्चिम मध्य रेलवे के कोटा स्थित माल डिब्बा मरम्मत कारखाने में श्रमदान से संवर रहा है परिसर। हर कर्मचारी कर रहा श्रमदान

kota

कोटा स्थित माल डिब्बा मरम्मत कारखाने में स्वतन्त्रता दिवस की 74वीं वर्षगांठ को स्वच्छता सप्ताह के रूप में मनाया जा रहा है।

कोटा. महाराष्ट्र में पेयजल संकट से राहत दिलाने के लिए अल्प समय में वाटर ट्रेन बनाने वाले रेलकर्मी अब श्रमदान से अपने कारखाने में चार चांद लगा रहे हैं। पश्चिम मध्य रेलवे के कोटा स्थित माल डिब्बा मरम्मत कारखाने में स्वतन्त्रता दिवस की 74वीं वर्षगांठ को स्वच्छता सप्ताह के रूप में मनाया जा रहा है। इसके तहत कार्य स्थल की सफ ाई पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। वहीं सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग को सीमित करते हुए इसके कचरे को कार्य स्थल से साफ किया जा रहा है।
मुख्य कारखाना प्रबंधक मनीष कुमार गुप्ता के नेतृत्व में कारखाने में कार्यरत 2000 कर्मचारी रोज औसतन 2 घंटे श्रमदान कर रहे हैं। इस प्रकार स्वच्छता अभियान में कारखाने में लगभग 500 श्रम दिवस स्वैच्छिक रूप से प्राप्त हो रहे हैं। इस दौरान कर्मचारी अपने कार्यस्थल की साफ -सफ ाई, कार्यस्थल को व्यवस्थित करने तथा अनावश्यक स्क्रेप सामग्री विशेष तौर पर प्लास्टिक को हटाने में सहयोग कर रहे हैं।
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कारखाने में अभी भी लोहे के एवं अन्य धातुओं के स्क्रेप को जमा करके भण्डार विभाग के माध्यम से नीलामी के माध्यम से बेचा जाता है। इससे रेलवे को राजस्व की प्राप्ति होती है। कारखाने में काफ ी बड़ा यार्ड क्षेत्र है, जिसमें पड़े स्क्रेप मैटेरियल का जगह एकत्र करके यार्ड को भी साफ करवाया जाएगा। इस स्क्रेप के विक्रय से रेलवे को अतिरिक्त राजस्व की प्राप्ति होगी। कोटा माल डिब्बा मरम्मत कारखाने की खास बात यह कि यहां देशभर से आने वाले वैगनों की मरम्मत की जाती है। वहीं ईंधन ऑयल के टेंकर वैगनों को वनस्पति तेल परिवहन के लिए तैयार करने वाला यह देश का एक मात्र कारखाना है। जब महाराष्ट्र में पेयजल संकट गहराया तब इस कारखाने ने बहुत कम समय दो वाटर ट्रेन तैयार करके लाटूर भेजी थी।

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