हिण्डौली: छह सत्रों में एक भी सवाल नहीं नए आठ विधायकों में प्रश्न लगाने में कांग्रेस के हिण्डौली विधायक अशोक चांदना फिसड्डी रहे हैं। चांदना ने 14 वीं विधानसभा के 11 सत्रों में कुल 68 प्रश्न ही पूछे। छह सत्रों में तो चांदना का एक भी सवाल पंजीकृत नहीं हुआ।
नए विधायकों में कोटा दक्षिण के संदीप शर्मा सदन में प्रश्न लगाने में पहले पायदान पर हैं। उन्होंने कुल 579 प्रश्न पूछे। दूसरे पायदान पर 479 प्रश्नों के साथ सांगोद विधायक हीरालाल नागर हैं, 467 प्रश्न लगाकर पीपल्दा विधायक विद्याशंकर तीसरे नम्बर पर रहे हैं। किशनगंज विधायक ललित मीणा इस क्रम में चौथे नम्बर पर हैं। मीणा ने 388 प्रश्न पूछे हैं।
पीपल्दा विधानसभा पीपल्दा विधानसभा से पहली बार विधायक बने विद्याशंकर नंदवाना ने गेंता माखीदा के पास चंबल नदी पर पुलिया बनाने का वादा किया था। करीब 120 करोड़ की लागत की यह पुलिया आकार ले चुकी है। इटावा में महाविद्यालय, 10 करोड़ की लागत से आईटीआई भवन का निर्माण व अयाना से खातौली सीसी रोड का कार्य पूर्ण करवाया। हालांकि इटावा के सरकारी चिकित्सालय में रिक्त पद नहीं भरवा पाए, इससे जनता परेशान है।
हीरा लाल नागर के खाते में कोटा-सांगोद सड़क को राष्ट्रीय राजमार्ग में तब्दील कराना, घानाहेड़ा एवं विनोदखुर्द में नदियों पर उच्च स्तरीय पुलिया निर्माण, कस्बे में वैकल्पिक बाइपास समेत पंचायतों में गौरव पथ निर्माण आदि कार्य हैं। हरिश्चन्द्र सागर सिंचाई परियोजना की अनदेखी, अधिकांश गांवों में शुद्ध पेयजल की कमी, उप परिवहन कार्यालय नहीं खुलने, बपावर को उपतहसील क्रमोन्नत न करा पाने जैसे कई मुद्दे हैं जो लोगों को खटक रहे। नागर पूर्व मंत्री भरत सिंह से विवादों को लेकर भी चर्चा में रहे। कुछ लोग उन पर प्रशासन पर पकड़ कमजोर होने का आरोप भी लगाते हैं।
किशनगंज विधानसभा भाजपा ने ललित मीणा को अपने पिता के स्थान पर टिकट दिया था। मीणा के पिता हेमराज मीणा इस सीट से विधायक रहते आए थे। ललित को टिकट देने के पीछे युवा और नया चेहरा सामने लाना उद्देश्य था। लेकिन वह अपना जलवा ज्यादा दिन बरकरार नहीं रख पाए। अपनी सरकार होने के कारण अलग से अपना स्थान बनाने में कामयाब नहीं हो सके। एमडी सिंचाई परियोजना, रानी बांध, नारायण खेड़ा बांध और सहरिया क्षेत्र में कुपोषण जैसी समस्याएं अब भी वैसी ही बनी हुई है। विधायक की इलाके में मौजूदगी जरूर बनी रही।
रामपाल मेघवाल शिक्षा जगत छोड़ कर राजनीति के मैदान में उतरे। उन्हें दिग्गज नेता मदन दिलावर पर तरजीह दी गई थी। मेघवाल भी काफी आशाएं लेकर विधानसभा में पहुंचे लेकिन क्षेत्र के लिए कुछ विशेष नहीं कर पाए। अटरू कस्बे में पेयजल की भारी समस्या बनी हुई है लेकिन कोई कारगर उपाय अब तक नहीं ढूंढा जा सका। शेरगढ़ परियोजना तैयार की गई लेकिन बस कागजों में। बारां में भी लगातार पेयजल समस्या बनी हुई है। परवन सिंचाई परियोजना की बॉल वे अपने पाले में लाने में अब तक कामयाब नहीं हुए।
अशोक चांदना 30 वर्ष की उम्र में विधायक बने। उन्होंने कई किसान आंदोलन किए। पहला आंदोलन अकाल राहत फ सल खराबे की राशि दिलाने को लेकर बूंदी में किया। जोधपुर, करौली व जयपुर में भी किसान आंदोलन किए। दिन में बिजली दिलवाना व नहर में पानी छोडऩे के मसले पर वे प्रशासन से टकराए। 5 वर्ष के कार्यकाल में उनके खिलाफ आंदोलनों में 8 मुकदमे दर्ज हुए हैं। 5 वर्ष के विधायक कोष की राशि 2 महीने पूर्व विकास कार्यों में खर्च कर चुके हैं। कुछ कार्य निजी राशि से भी करवाए।
कंवरलाल मीणा क्षेत्र में काफी सक्रिय रहे हैं। धार्मिक व सामाजिक कार्यक्रमों के बलबूते क्षेत्र में पकड़ बना रखी है। लेकिन कार्य शैली को लेकर पूरे कार्यकाल में कई बार चर्चा में रहे। सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ मारपीट के मामले में तथा हाल ही में हुए कॉलेज छात्रसंघ चुनाव में मारपीट के मामले में समझाने के दौरान हाथ में लाठी दिखने पर चर्चा में रहे हैं। हालांकि पार्टी स्तर पर मीणा के कामकाज पर संतोष जताया जा रहा है।
डग विधानसभा क्षेत्र
विधायक रामचन्द्र सुनारीवाल अपने क्षेत्र से लेकर सदन में भी सक्रिय रहे हैं। चौदहवींं विधानसभा में कुल 11 सत्रों में 111 सवाल पूछे हैं। जनता से जुड़ाव है। विकास के काम भी करवाए हैं। पिछले दिनों ग्रामीणों से जनसंपर्क के दौरान विरोध का सामना करना पड़ा था।