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लाल चौक पर आखिरी बार राजस्थान के युवाओं ने फहराया था तिरंगा..

locationकोटाPublished: Aug 05, 2019 09:06:36 pm

Submitted by:

Rajesh Tripathi

कोटा के गांधी आश्रम से तिरंगा खरीदकर ले गए भाजयुमो कार्यकर्ता, 26 जनवरी 2011 को तिरंगा फहराने के बाद जम्मू कश्मीर पुलिस ने किया था गिरफ्तार
 

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लाल चौक पर आखिरी बार आखिरी बार राजस्थान के युवाओं ने फहराया था तिरंगा

कोटा. जम्मू कश्मीर से धारा 370 और 35 ए हटाए जाने का जश्र पूरा देश मना रहा है, लेकिन यह दिन कोटा के लिए और भी ज्यादा खास है। देश भर के लिए प्रतिष्ठा का विषय बने लाल चौक पर आखिरी बार 26 जनवरी 2011 के दिन तिरंगा फहराया गया था। तमाम सुरक्षा बंदोबस्तों के बावजूद इस काम को राजस्थान के युवाओं ने अंजाम दिया और बड़ी बात यह थी कि लाल चौक फहराया गया यह तिरंगा कोटा में काता और बुना गया था।
लाल चौक पर झंडा फहराने के लिए अलगाववादियों और राष्ट्रवादियों के बीच लंबे समय से कशमकश रही है। वर्ष 2011 में भाजयुमो के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुराग ठाकुर ने लाल चौक पर तिरंगा फहराने का आह्वान कर कोलकता से श्रीनगर तक राष्ट्रीय एकता यात्रा निकाली। जवाब में कश्मीर के सभी अलगाववादी संगठनों जिनमें जेकेएलएफ और हुर्रियत कांफ्रेंस प्रमुख थे, ने चुनौती देते हुए कहा कि अगर किसी में दम है तो वह आकर दिखाए। यहां खून की नदियां बहेंगी, यह हिंदोस्तान नहीं है। टकराव के हालात पैदा होते देख लाल चौक ही नहीं पूरे जम्मू कश्मीर को संगीनों के साए में ले लिया गया। भाजपा के दिग्गज नेताओं का पूरा जत्था सूबे में घुसते ही हिरासत में ले लिया गया।
राजस्थान ने कबूली चुनौती
भाजयुमो महिला मोर्चा की दिल्ली इकाई की तत्कालीन अध्यक्ष विनीत रॉय, आरपी सिंह, विजय उपाध्याय और विनोद रावत 25 जनवरी को जैसे तैसे लाल चौक के नजदीक पहुंचने में कामियाब हो गए, लेकिन तिरंगा फहराने की कोई सूरत उन्हें भी नजर नहीं आई। लाल चौक पर घूमते समय उनकी मुलाकात राजस्थान के युवा कार्यकर्ताओं जितेंद्र मीणा (जयपुर) लोकेन्द्र सिंह राजावत (कोटा), वीरेन्द्र सिंह (उदयपुर), हिरेन मिश्रा (जयपुर), भूपेंद्र चौधरी (भरतपुर) और अशोक भाटी (बीकानेर) से हो गई। सभी ने मिलकर तड़के ही यहां तिरंगा फहराने की ठान ली।
फहरा कोटा का तिरंगा
26 जनवरी 2011 की सुबह भाजयुमो कार्यकर्ता लाल चौक तक पहुंच गए, लेकिन सख्त जांच प्रक्रिया के चलते किसी को अपने साथ कोई सामान लाने इजाजत नहीं दी गई। भायजुमो प्रदेश उपाध्यक्ष लोकेंद्र राजावत बताते हैं कि उन्होंने और विनीत राय ने हालातों को पहले ही भाप लिया था इसीलिए कोटा के गांधी आश्रम से खरीदकर लाए तीन तिरंगों में से एक उन्होंने अपनी पेंट में छिपा कर रख लिया और दो विनीत राय ने अपने कुर्ते में छिपा लिए। इसके बाद यह दोनों लोगो बाकी साथियों से अलग हो गए और सुबह करीब 9 बजे अलग-अलग दिशाओं से लाल चौक पर पहुंच गए। कुछ देर आम पर्यटकों की तरह टहलता देख सुरक्षा बलों ने जैसे ही इन लोगों से अपनी नजरें हटाई पहले से छिपाकर रखे गए तीनों तिरंगे निकाल कर हवा में फहराना शुरू कर दिया।
जानिए आखिर क्यों कोटा के लिए विरला
साबित हुए स्पीकर ओम बिरला…

दो दिन की हिरासत फिर डिपार्चर
लोकेंद्र सिंह राजावत बताते हैं कि लाल चौक पर तिरंगा फहरते ही चारों तरफ हड़कंप मच गया और मौके पर मौजूद सुरक्षा कर्मियों ने उन्हें धर दबोचा। तिरंगा छीनने की कोशिशों में जमकर धक्का मुक्की और लाठियां भी भांजी गई। आखिर में उन्हें और विनीत राय समेत राजस्थान से गए सभी भाजयुमो कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर राम मुंशीबाग थाने ले जाया गया। दो दिन तक जम्मू कश्मीर पुलिस ने हिरासत में रखा, लेकिन पुलिस को चकमा देकर भाग निकले दिल्ली के साथी आरपी सिंह ने केंद्रीय गृह मंत्रालय और भाजपा आला कमान तक सारी जानकारी पहुंचा दी। जिनके दखल के बाद 28 जनवरी को जम्मू कश्मीर पुलिस ने उन्हें अपनी ही निगरानी में सरकारी खर्च पर ट्रेन का टिकट कराकर स्टेट से डिपार्चर किया।
फिर फहराएंगे तिरंगा
लोकेंद्र राजावत ने कहा कि जम्मू कश्मीर से धारा 370 और 35 ए हटाए जाने की खुशी में 26 जनवरी 2011 के सभी साथियों ने फिर से लाल चौक पर तिरंगा फहराने का संकल्प लिया है। नौ साल बाद एक बार फिर उस पुरानी याद को ताजा करने 26 जनवरी 2020 को जरूर लाल चौक जाएंगे।

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