हालात यह हैं कि जुगाड़ के भरोसे चल रहे तीनों कॉलेजों में से प्रत्येक में 180 सीटों की तुलना में अधिकतम 10 छात्रों के ही प्रवेश हो पाए। इनसे कॉलेज की आय तकरीबन पांच लाख हुई, जबकि सम्बद्धता एवं अन्य शुल्कों के तौर पर ही ये कॉलेज इस सत्र में करीब सवा छह लाख रुपए तकनीकी विश्वविद्यालय, कोटा को दे चुके हैं।
चार साल का सूरत- ए- हाल
सरकार ने चार साल पहले इन कॉलेजों की घोषणा की थी, लेकिन चार साल बीतने पर भी इन कॉलेजों को अपनी इमारत तक नहीं मिल पाई। जैसे-तैसे इस वर्ष इनका शैक्षणिक सत्र शुरू कराया, लेकिन अभी भी करौली, धौलपुर के कॉलेज तो शहर से मीलों दूर भरतपुर के इंजीनियरिंग कॉलेज में चल रहे हैं।
आरटीयू बोला शिफ्ट करो
तीनों कॉलेजों में 25प्रश से कम प्रवेश देखते हुए हाल ही तकनीकी विवि, कोटा ने इन कॉलेजों के छात्रों को अन्यत्र शिफ्ट करने का फरमान दिया तो यह सरकार के लिए राजनीतिक नुकसान-फायदे का मुद्दा बन गया। तकनीकी शिक्षा विभाग ने विवि को कह दिया है कि ये छात्र शिफ्ट नहीं होंगे, क्योंकि ये सरकार की घोषणा से बने हैं।
गुहार लगाई, माफ कराओ शुल्क
खस्ताहाल शिक्षा की दूसरी सूरत तब सामने आई जब ठीक से पैरों पर खड़े भी नहीं हो पाए इन कॉलेजों से तकनीकी विश्वविद्यालय, कोटा ने सम्बद्धता शुल्क और जुर्माना राशि वसूल ली। तीन लाख रुपए सम्बद्धता शुल्क, तीन लाख जुर्माना राशि और 25 हजार रुपए निरीक्षण शुल्क वसूला गया है। हाल ही तीनों कॉलेजों ने सरकार से गुहार लगाई है कि कम से कम ये शुल्क तो विश्वविद्यालय क
खस्ताहाल शिक्षा की दूसरी सूरत तब सामने आई जब ठीक से पैरों पर खड़े भी नहीं हो पाए इन कॉलेजों से तकनीकी विश्वविद्यालय, कोटा ने सम्बद्धता शुल्क और जुर्माना राशि वसूल ली। तीन लाख रुपए सम्बद्धता शुल्क, तीन लाख जुर्माना राशि और 25 हजार रुपए निरीक्षण शुल्क वसूला गया है। हाल ही तीनों कॉलेजों ने सरकार से गुहार लगाई है कि कम से कम ये शुल्क तो विश्वविद्यालय क