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अपने मूल्यांकन का सबसे अच्छा अवसर रमजान

locationकोटाPublished: May 26, 2019 01:02:25 am

Submitted by:

Anil Sharma

कोटा. रमजान में हर दिन हर पल का खास महत्व है। रविवार को 20वें रमजान के साथ दूसरा अशरा समाप्त हो जाएगा। तीसरे अशरे की शुरुआत के साथ रोजेदार एतकाफ की राह पर चल पड़ेंगे, यानी बाहरी दुनिया से अलग।

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कोटा. रमजान में हर दिन हर पल का खास महत्व है। रविवार को 20वें रमजान के साथ दूसरा अशरा समाप्त हो जाएगा। तीसरे अशरे की शुरुआत के साथ रोजेदार एतकाफ की राह पर चल पड़ेंगे, यानी बाहरी दुनिया से अलग।

कोटा. रमजान में हर दिन हर पल का खास महत्व है। रविवार को 20वें रमजान के साथ दूसरा अशरा समाप्त हो जाएगा। तीसरे अशरे की शुरुआत के साथ रोजेदार एतकाफ की राह पर चल पड़ेंगे, यानी बाहरी दुनिया से अलग। एतकाफ रोजेदार को अपने आप में झांकने व अपने चरित्र का मूल्यांकन करने का सबसे अच्छा अवसर देता है।
एक कम्पनी में मैनेजर आकाशवाणी कॉलोनी निवासी जुनेद खान कहते हैं कि एतकाफ के दिन रमजान माह और खास हो जाता है। एतकाफ के दौरान रोजेदार मस्जिद में रहकर नमाज, तिलावत, तस्बीह, तकबीर व दीन-ए-इलाही में लीन हो जाता है और गुनाहों से तौबा करते हैं। वे खुदा की इबादत में इतना डूब जाते हैं कि उन्हें बाहरी दुनिया से कोई लेना-देना नहीं होता। दरअसल एतकाफ एक तरह से मन पर नियंत्रण रखने की कठोर साधना है। वे मानते हैं रोजेदार इबादत करते हुए जीवन को संवारता है। ईद का चांद नजर आने के बाद ही अकीदतमंद एतकाफ से बाहर आते हैं। जुनेद के पिता रिटायर्ड लेक्चरार हाजी जमील अहमद कहते हैं कि एतकाफ करने वालों को खुदा शब-ए-कद्र की बरकतों से नवाजता है, जो एतकाफ में न हो वह इस अशरे के दौरान इबादत-ए-इलाही में व्यस्त रहकर अल्लाह की इबादत करें। बेशक, अल्लाह उसके व परिवार के सारे गुनाह माफ कर देता है। जुनेद की पत्नी हीना खान मानती है कि ईद-उल-फितर खुदा को उसकी नेमतों के लिए शुक्रिया अदा करने व खुद की आध्यात्मिक पड़ताल करने का अवसर देती है। रमजान के आइने में जान सकते हैं कि उनके चरित्र में कितनी ताकत है। ईद के दिन इंसान अपना सही मूल्यांकन कर सकता है।
रमजान रहमत व बरकत का महीना
बोरखेड़ा स्थित रजा जामा मस्जिद में शनिवार को रोजा अफ्तार कार्यक्रम हुआ। कार्यक्रम संयोजक राईस खान कहा कि एक रोजे का कई गुना सवाब मिलता है। रमजान में कहा जाता है कि यह सिर्फ रहमतों और बरकतों की बारिश का महीना है। समूची मानव जाति को प्रेम भाईचारे और इंसानियत का संदेश भी देता है। इस पाक महीने में अल्लाह अपने बंदों पर रहमतों का खजाना लुटाते हैं। मौलाना हाफिज शाहिद रजा, पीर मोहम्मद फारुक सहित अन्य ने कार्यक्रम में शिरकत की।
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