परिवादी दुर्गेश का कहना था कि कोरोना के दो साल के अंतराल में जब रेलगाडिय़ों का संचालन बंद हुआ तब भी रेलवे का ट्रॉली का तय किराया चालू था, जिसकी अदायगी वह करता था। रेलवे स्टेशन पर कुछ रेलगाडियों का परिवहन जब चालू हुआ तब भी आरपीएफ की मासिक बंधी में कोई रियायत नहीं बरती गई। दीपावली के समय रेलगाडियों का संचालन पूरी तरह से शुरू नहीं हुआ तब भी उस पर दबाव बनाकर राशि मांगी गई। लक्ष्मीपूजन के दिन उसको चौकी पर जाकर रिश्वत की रकम देनी पड़ी। दुर्गेश ने बताया कि इसी समय उससे थानाधिकारी ने मासिक बंधी के रूप में पांच हजार की राशि बढ़ाकर 11 हजार रुपए करने की बात कही। मिन्नते करने के बाद भी थानाधिकारी नहीं माना तो उसकी शिकायत एसीबी में कर दी।
चौकी में मंगाते थे चाय-नाश्ता दुर्गेश का कहना है कि मासिक बंधी के अलावा पुलिस चौकी में चाय-नाश्ता व पानी की बोतले अलग से उससे मंगाई जाती थी। अप्रेल माह तक उसने जैसे-तैसे धंधा मंदा चलने की बात कहकर पुरानी बंधी के रूप में पांच हजार की राशि को चालू रखा और मई माह में यह बंधी 11 हजार करने की बात पर सहमति दे दी थी।
चार पांच बार बुलाया पर दलाल नहीं आया दुर्गेश ने बताया कि वह दरा के जिस दलाल गोलू के जरिए रिश्वत की रकम लेता था, उसको उसने रामगंजमंडी में राशि देने के लिए चार-बार बुलाया, लेकिन वह नहीं आया। गुरुवार को वह दरा पहुंचा और दलाल को रिश्वत की रकम देने के लिए होटल पर बुलाया तो वह आया।
कांस्टेबल धमकाता था थानाधिकारी ब्रजमोहन मीणा ने उससे रिश्वत के रूप में 11 हजार की राशि मांगी थी। हवलदार रणवीर अक्सर रिश्वत की रकम के मामले में उसको धमकाता था। दलाल गोलू का नाम थानाधिकारी ने बताया था।