30 साल बाद आया ऐसा मौका, अब एक साथ होगी मंदिरों में पूजा और मस्जिदों में इबादत
मंदिरों में कथा कीर्तन का दौर तो मस्जिदों में पांचों वक्त की नमाज, अकीदतमंदों का सैलाब। सप्ताहभर बाद शहर में कुछ इसी तरह से सद्भाव का समंदर बहेगा।

धर्मलाभ कमाएंगे, सद्भाव के समंदर में डुबकी लगाएंगे
कोटा . मंदिरों में कथा कीर्तन का दौर तो मस्जिदों में पांचों वक्त की नमाज, अकीदतमंदों का सैलाब। सप्ताहभर बाद शहर में कुछ इसी तरह से सद्भाव का समंदर बहेगा। यह संयोग 30 साल बाद बना है। 16 तारीख को रमजान का चंाद देखा जाएगा और चांद दिखने पर रमजान का पाक माह शुरू होगा।
Read More: झालावाड़ में जिला परिषद सीईओ पर भड़की सीएम, कहा-बताओ कहां खर्च किए 40 करोड़, एक-एक पाई का दो हिसाब
इधर, 16 मई से पुरुषोत्तम मास शुरू हो जाएगा। इस्लाम में रमजान को अल्लाह का माह माना गया है तो पुरुषोत्तम माह को भगवान विष्णु का रूप माना गया है। इसके चलते शहर में जून के मध्य तक मंदिर मस्जिदों में विशेष पूजा-अर्चना व दुआओं का दौर चलेगा।
आज चांद दिखा तो कल से रमजान
शहरकाजी अनवार अहमद के अनुसार यदि 16 मई को रमजान का चांद नजर आ जाता है तो रमजान 17 मई से शुरू होंगे, चांद नजर नहीं आया तो 18 मई से रमजान शुरू होंगे। एक माह तक शहर में रौनक रहेगी। जुमे पर अकीदतमंद विशेष नमाज अदा करेंगे। शब-ए-कद्र मनाई जाएगी। हर रोज विभिन्न धार्मिक, सामाजिक व राजनीतिक संस्थाओं की ओर से रोजा अफ्तार के आयोजन होंगे। तड़के से रात तक अकीदतमंद भक्ति भाव में डूबे नजर आएंगे।
अधिक मास आज से
ज्योतिषाचार्य लक्ष्मीकांत शुक्ला के अनुसार इस वर्ष 16 मई से अधिकमास शुरू होगा, यह 13 जून तक चलेगा। शुक्ला के अनुसार हर तीन साल में एक बार तिथियों के घटने-बढऩे से अतिरिक्त माह का प्राकट्य होता है, जिसे अधिकमास मलमास या पुरुषोत्तम मास के नाम से जाना जाता है। इस माह में शादी ब्याह, मांगलिक आयोजन, गृह प्रवेश, नवीन कारोबार करना वर्जित माना गया है।
ऐसे होता है अधिकमास
वशिष्ठ सिद्धांत के अनुसार भारतीय ज्योतिष में सूर्य मास और चंद्र मास की गणना के अनुसार वर्ष चलता है। इसका प्राकट्य सूर्य वर्ष और चंद्र वर्ष के बीच अंतर का संतुलन बनाने के लिए होता है। भारतीय गणना पद्धति के अनुसार प्रत्येक सूर्य वर्ष 365 दिन और करीब 6 घंटे का होता है, वहीं चंद्र वर्ष 354 दिनों का माना जाता है। दोनों वर्षों के बीच लगभग 11 दिनों का अंतर होता है, जो हर तीन वर्ष में लगभग 1 मास के बराबर हो जाता है। इसी अंतर को पाटने के लिए हर तीन साल में एक चंद्र मास अस्तित्व में आता है। यह अतिरिक्त माह होने के कारण इसे अधिकमास का नाम दिया गया है।
Read More: मेघवाल समाज ने किया जंग का ऐलान, गुंजल को दी चेतावनी-चुनाव में बताएंगे कौन है दो कौड़ी का MLA
यह महत्व रमजान का
शाबान के बाद रमजान माह आता है। यह महीना एक तरह से जीवन को संवारने का है। मौलाना अलालुद्दीन अशरफी बताते हैं कि इस माह में इबादत, दया, दान का विशेष महत्व है। रोजे इंसान के तन व मन से शुद्ध बनाते हैं। सहनशीलता, संयम, संवेदना के भाव जागृत करने वाला है। इसी माह में शब-ए-कद्र पर कुरान अवतरित हुई। इस दृष्टि से इसका विशेष महत्व हो जाता है।
स्वयं भगवान का रूप
महाप्रभुजी मंदिर के प्रबन्धक गोस्वामी विनय बाबा बताते हैं कि हिंदू धर्म में इस माह का विशेष महत्व है। इस माह में पूजा-पाठ, अनुष्ठान, कथाओं को श्रवण व वाचन करना श्रेष्ठ होता है। ऐसा माना जाता है कि अधिकमास में किए गए धार्मिक कार्यों का किसी भी अन्य माह में किए गए पूजा-पाठ से 10 गुना अधिक फल मिलता है। इस मास में भगवान को प्रसन्न कर अपना इहलोक तथा परलोक सुधारने में जुट जाते हैं। यह माह स्वयं भगवान विष्णु है, इसलिए इसका नाम पुरुषोत्तम है।
अब पाइए अपने शहर ( Kota News in Hindi) सबसे पहले पत्रिका वेबसाइट पर | Hindi News अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें Patrika Hindi News App, Hindi Samachar की ताज़ा खबरें हिदी में अपडेट पाने के लिए लाइक करें Patrika फेसबुक पेज