scriptकोटा के खेत में मिला दुर्लभ हरियल पक्षी | Rare bird hariyal found in farm of kota | Patrika News

कोटा के खेत में मिला दुर्लभ हरियल पक्षी

locationकोटाPublished: Sep 18, 2019 08:57:08 pm

Submitted by:

mukesh gour

बारां रोड स्थित मानपुरा के खेत में घायल अवस्था में मिला, स्थानीय युवक ने देखभाल के लिए चिडिय़ाघर को सौंपा

Rare bird hariyal found in farm of kota

Rare bird hariyal found in farm of kota

कोटा. शहर के समीप बारां रोड स्थित मानपुरा स्थित एक खेत में दुर्लभ पक्षी हरियल घायल अवस्था में पाया गया। पेड़ से नीचे गिरे इस पक्षी को युवा नेता अभिलाष शर्मा ने उठाया और उसे अस्पताल ले गए। पक्षी के पंख में चोट लगी थी और उसकी हालत भी खराब थी। कुछ दिन उसकी देखभाल के बाद अभिलाष ने इसे बुधवार को कोटा जू को सौंप दिया।
दस दिनों तक की देखभाल

अभिलाष ने इस पक्षी को घर ले जाकर इसकी दस दिनों तक देखभाल की। जब यह कुछ ठीक हुआ तो उन्होंने इसकी अच्छी देखरेख के लिए इसे चिडिय़ाघर को सौंप देने का फैसला किया। वे उसे चिडिय़ाघर लेकर गए। केयर टेकर ने बताया कि ये दुर्लभ प्रजाति का है। इसे महाराष्ट्र का राज्य पक्षी होने का दर्जा प्राप्त है। राजस्थान और हाड़ौती में इन्हें बहुत कम देखा जाता है। चिडिय़ाघर में भी ये अभी कोई हरियल नहीं है। हरियल को उपचार के लिए अलग पिंजरे में रखा गया है। जब ये पूरी तरह से स्वस्थ हो जाएगा तो उसे सामान्य पिंजरे में शिफ्ट कर दिया जाएगा। चिडियाघर में अभिलाष शर्मा ने खुद इसकी मरहम-पट्टी करवाई। अभिलाष के साथ प्रियंका शर्मा, शुभि शर्मा और योगेश दुबे उपस्थित थे।
ऐसा होता है हरियल
महाराष्ट्र का राजकीय पक्षी हरियल को यैलो फुटेड ग्रीन पीजन के नाम से भी जाना जाता है। कबूतर प्रजाति का यह पक्षी आमतौर पर यह फल और जंगली बेरियां ही खाना पसंद करता है। यह समूचे भारतीय उपमहाद्वीप के घने जंगलों में पाया जाता है। इसका शरीर चमकीला पीलापन लिए हरे और धूसर रंग का होता है। नर का रंग मादा के मुकाबले ज्यादा चमकीला होता है। ये अक्सर समूह में रहना पसंद करते हैं। घने पत्तों वाले पेड़ इसका आवास होते हैं। इसके पंजे चमकीले पीले रंग के होते हैं। पीले पैरों वाले ये हरे कबूतर पाकिस्तान, भारत, श्रीलंका, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, म्यांमार, थाईलैंड, कंबोडिया, लाओस, वियतनाम और चीन में वितरित किए जाते हैं। भारत में, ये पीले-पैर वाले हरे कबूतर की प्रजातियाँ लक्षद्वीप द्वीप समूह और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह को छोड़कर सभी राज्यों में वितरित की जाती हैं।
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