कृषि विभाग ने कोटा संभाग में रबी की फसलों के उत्पादन की रिपोर्ट तैयार कर ली है। पिछले साल के मुकाबले इस बार हाड़ौती में गेहूं और सरसों का उत्पादन बम्पर हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक Kota संभाग में तीन हजार करोड़ से अधिक का गेहूं उत्पादित होगा। wheat की आवक का दौर शुरू होते ही मंडियां जाम हो गई। पिछले साल से गेहूं का उत्पादन करीब 20 फीसदी अधिक है।
इस बार बुवाई भी अधिक हुई थी। इस साल संभाग में गेहूं की बुवाई 5 लाख 21 हजार 890 हैक्टेयर में हुई थी, जबकि पिछले साल चार लाख 85 हजार हैक्टेयर में बुवाई हुई थी। इस बार 20 लाख 56 हजार 368 मीट्रिक टन होने का आकलन है।
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गेहूं उत्पादन में बूंदी अव्वल संभाग में गेहूं की बुवाई कोटा जिले में अधिक हुई है, लेकिन उत्पादन में बूंदी जिला अव्वल है। कोटा जिले में एक लाख 39 हजार 630 हैक्टेयर में बुवाई हुई थी, जबकि उत्पादन पांच लाख 51 हजार 41 मीट्रिक टन का आकलन है। बूंदी जिले में एक लाख 39 हजार 327 हैक्टेयर में बुवाई हुई थी, उत्पादन छह लाख 15 हजार 48 मीट्रिक टन की संभावना है।
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गेहूं उत्पादन में बूंदी अव्वल संभाग में गेहूं की बुवाई कोटा जिले में अधिक हुई है, लेकिन उत्पादन में बूंदी जिला अव्वल है। कोटा जिले में एक लाख 39 हजार 630 हैक्टेयर में बुवाई हुई थी, जबकि उत्पादन पांच लाख 51 हजार 41 मीट्रिक टन का आकलन है। बूंदी जिले में एक लाख 39 हजार 327 हैक्टेयर में बुवाई हुई थी, उत्पादन छह लाख 15 हजार 48 मीट्रिक टन की संभावना है।
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आंकड़ों पर एक नजर
कोटा संभाग फसल हैक्टेयर उत्पादन
गेहूं- 521890 2056368 जौ- – 6284 -21013
चना – 163454 – 139115 अलसी- 16447 -18037
सरसों- 260915 -429381 तारामीरा- 1991 -1093
धनिया- 90902 -30991 मैथी- 5055 -1845
लहसुन- 61555 -182183
कोटा संभाग फसल हैक्टेयर उत्पादन
गेहूं- 521890 2056368 जौ- – 6284 -21013
चना – 163454 – 139115 अलसी- 16447 -18037
सरसों- 260915 -429381 तारामीरा- 1991 -1093
धनिया- 90902 -30991 मैथी- 5055 -1845
लहसुन- 61555 -182183
(स्रोत कृषि विभाग, बुवाई के आंकड़े हैक्टेयर में, उत्पादन मीट्रिक टन में )
हाड़ौती में फरवरी व मार्च के अंत तक सर्दी का असर रहा। यह गेहूं के लिए अनुकूल रहा। इससे गेहूं में इजाफा हुआ है। शीतलहर नहीं चलने से धनिया फसल में ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है।
हाड़ौती में फरवरी व मार्च के अंत तक सर्दी का असर रहा। यह गेहूं के लिए अनुकूल रहा। इससे गेहूं में इजाफा हुआ है। शीतलहर नहीं चलने से धनिया फसल में ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है।
– रामावतार शर्मा, संयुक्त निदेशक, कृषि विस्तार कोटा खण्ड