वर्ष 2015 में हाड़ौती में हुई ओलावृष्टि से फसलों को भारी नुकसान हुआ था। खराबे का न्यूनतम मुआवजा 750 रुपए तथा अधिकत 9000 रुपए बांटा तय हुआ था। इसके आधार पर ही पीडि़त किसानों की मुआवजा राशि स्वीकृत हुई थी और सहकारी समितियों की सूची के आधार पर किसानों को मुआवजा बांट दिया गया। खराबे को लेकर राजनीति गरमाने पर तत्कालीन भाजपा सरकार ने मुआवजा की राशि बढ़ाकर न्यूनतम एक हजार रुपए तथा अधिकतम 27000 हजार रुपए कर दिया था। समिति ने 4500 किसानों को दो बार मुआवजा राशि दो बार मुआवजा बांट दिया है। पहली बार भुगतान व्यवस्थापक भंवरलाल के समय हुआ तथा बाद में समिति का चार्ज ऋण पर्यवेक्षक पन्नालाल के समय हुआ। दोनों नहीं बिना जांच के लिए भुगतार कर दिया है। यह भुगतान अब गले की फांस बन गया है।–गरमाई थी राजनीतिहाड़ौती में वर्ष 2015 में जबर्दस्त ओलावृष्टि हुई थी। इसमें कोटा और बूंदी जिले में किसानों की फसलें बर्बाद हो गई थी। यह मामला दिल्ली तक गूंजा था। इसके बाद कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी भी कोटा दौरे पर आई थी। इसके बाद केन्द्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली ने ओलावृष्टि के खराबे का हवाई सर्वेक्षण कर गांवों में जाकर किसानों की पीड़ा जानी थी। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कोटा सभा में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के समक्ष 2015 की ओलावृष्टि का जिक्र किया था