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ट्रेनों के सुरक्षित संचालन पर हो रहे करोड़ों खर्च, लेकिन यहां हो रही चूक

locationकोटाPublished: Aug 13, 2018 05:19:58 am

Submitted by:

rohit sharma

https://www.patrika.com/rajasthan-news/

कोटा.
यात्रियों की संरक्षा को ध्यान में रखते हुए ट्रेनों का सुरक्षित संचालन करने के लिए रेल मंत्रालय ने राष्ट्रीय संरक्षा कोष की स्थापना की है। इसके तहत पांच साल के लिए 1 लाख करोड़ रुपए का प्रावधान रखा है। हर साल 20 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे। इस साल जून 2018 तक 3256 करोड़ रुपए संरक्षा बढ़ाने के लिए किए गए कार्यों पर खर्च हो चुके हैं। राष्ट्रीय संरक्षा कोष गठन के बाद भी स्टेशन मास्टर संवर्ग का तनाव संरक्षा को चुनौती दे रहा है। जिन स्टेशनों से दिनभर ट्रेनों का परिचालन होता है, वहां दो स्टेशन तैनात करने की जरूरत है, लेकिन एक ही स्टेशन मास्टर से कार्य कराया जा रहा है।
24 घंटे भूखे रहकर कार्य किया
कुछ स्टेशनों पर तो स्टेशन मास्टर्स 12 घंटे की ड्यूटी कर रहे हैं, जो संरक्षा मापदंडों के अनुकूल नहीं है। इतना ही नहीं कई स्टेशनों पर स्टेशन मास्टर ट्रेनों के परिचालन के साथ टिकट बांटने का कार्य भी कर रहे हैं, इससे संरक्षा का सुरक्षा चक्र भंग हो रहा है। केशवरायपाटन स्टेशन से आठ घंटे में 60 ट्रेनें गुजरती हैं। शाम के पांच बजे इस स्टेशन पर टिकट बांटने के लिए बुकिंग क्लर्क भी तैनात नहीं है। इस कारण स्टेशन मास्टर को सिग्नल देने के साथ टिकट भी बांटने पड़ते हैं। साथ ही संरक्षा से जुड़े अन्य अनुदशों की पालना में हड़बड़ी रहती है।
ऑल इंडिया स्टेशन मास्टर एसोसिएशन का कहना है कि रेलवे की ओर से इस बात पर ध्यान नहीं देने पर स्टेशन मास्टर्स ने 24 घंटे भूखे रहकर कार्य किया। राष्ट्रीय संरक्षा निधि से रेलपथ का नवीनीकरण, पुल निर्माण, सिग्नल एवं दूरसंचार प्रणाली का अपग्रेडेशन, चल स्टॉक में सुधार जैसे कई कार्य किए जा रहे हैं।
यहां काम का दवाब
गुडला जंक्शन, केशवरायपाटन, लाखेरी, हिंडौन सिटी, बयाना जंक्शन, डाढ़देवी, रामगंजमंडी और महीदपुर रोड सहित कई स्टेशनों पर एक-एक अतिरिक्त स्टेशन मास्टर तैनात करने की जरूरत है। इन स्टेशनों पर कार्य का तनाव है। लगातार सात दिन तक रात्रि ड्यूटी कराने से भी असंतोष है।
फैक्ट
150 औसत मालगाड़ी और यात्री ट्रेनें हर रोज कोटा जंक्शन से गुजरती हैं 100 रेलवे स्टेशन हैं कोटा मंडल में 514 स्टेशन मास्टर हैं कोटा मंडल 1714 स्टेशन मास्टर है पूरे जोन 39000 स्टेशन मास्टर हैं भारतीय रेलवे में
इनका कहना है
कोटा-चित्तौडगढ़़ रेलखंड में स्टेशन मास्टर लगातार 12 घंटे की ड्यूटी कर रहे हैं, जो संरक्षा के लिहाज से सही नहीं है। यहां 8 घंटे की ड्यूटी की जानी चाहिए। ऑल इंडिया स्टेशन मास्टर एसोसिएशन ने रेल मंत्रालय का ध्यान सेफ्टी की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए 24 घंटे तक भूखे रहकर कार्य किया।
– राजेन्द्र कुमार मीना, मंडल सचिव, स्टेशन मास्टर एसोसिएशन
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