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पार्टी सूत्रों का कहना है कि विजयी प्रत्याशियों को एकजूट और एकमत रखने के साथ किसी भी तरह की भितरघात की स्थिति से बचने के लिए पदाधिकारियों को इनकी निगरानी के साथ घुमाने-फिराने में काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। बाड़ाबंदी में निर्वाचित सदस्यों के मतगणना से एक दिन पहले से फोन तक बंद है। परिजनों से भी इनका किसी तरह का सम्पर्क नहीं हो रहा। इनके साथ मौजूद कुछ भरोसेमंद पदाधिकारियों के ही फोन सक्रिय हैं। हालांकि पदाधिकारियों ने किसी भी तरह की बाड़ाबंदी से इंकार किया है।
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रोज बदल रहे जगह
जनता के वोटो से जीते कांग्रेस प्रत्याशी पार्टी पदाधिकारियों के खर्चे पर जमकर मौज उड़ा रहे हैं। सदस्यों को नई-नई जगह भ्रमण करवाया जा रहा है। मीडिया को इसके कुछ फोटो व वीडियो भी भेजे जा रहे हैं। जिनमें सदस्य कभी झील में नौका विहार करते तो कभी सामूहिक रूप से बसों में एक जगह से दूसरी जगह सफर करते दिख रहे हैं। महिला सदस्यों के पुरुष परिजन भी साथ में मौज कर रहे हैं।
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क्या करें मजबूरी है
पूर्व में हुए पालिका चुनाव में मतगणना के दो या तीन दिन बाद अध्यक्ष पद के नामांकन दाखिल होते थे। उसी दिन नामांकन जांच के बाद चुनाव चिन्ह का आवंटन कर अध्यक्ष का एवं दूसरे दिन उपाध्यक्ष का चुनाव हो जाता था। इस बार चुनाव कार्यक्रम में नामांकन दाखिले के बाद अध्यक्ष के चुनाव में पांच दिन का समय दिया गया है। ऐसे में कांग्रेस भी कोई रिस्क लेना नहीं चाहती। इससे सदस्यों को बाड़ेबंदी में रखना पार्टी की मजबूरी बन गई है।