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सर्वपितृ अमावस्या और शनिवार 28 को ,बीस बरस बाद ऐसा संयोग,श्राद्ध करना भूल गए तो इस दिन कर दे, मिलेगा पितरों का आशीर्वाद

locationकोटाPublished: Sep 25, 2019 07:02:23 pm

Submitted by:

Suraksha Rajora

sarvapitr Amavasya श्राद्ध करना भूल गए तो इस दिन कर दे, मिलेगा पितरों का आशीर्वाद…जानिए पितृपक्ष में कैसे करें श्राद्ध

सर्वपितृ अमावस्या और शनिवार 28 को ,बीस बरस बाद ऐसा संयोग,श्राद्ध करना भूल गए तो इस दिन कर दे, मिलेगा पितरों का आशीर्वाद

सर्वपितृ अमावस्या और शनिवार 28 को ,बीस बरस बाद ऐसा संयोग,श्राद्ध करना भूल गए तो इस दिन कर दे, मिलेगा पितरों का आशीर्वाद

कोटा . पितरों के लिए पूजा-पाठ करने का पर्व पितृ पक्ष , 13 सितंबर से शुरू हो गया है जो सर्व पितृमोक्ष अमावस्या 28 सितंबर को हे ये पितृ पक्ष की अंतिम तिथि है। यदि पूरे पितृ पक्ष में किसी का श्राद्ध करना भूल गए हैं या मृत व्यक्ति की तिथि मालूम नहीं है तो इस तिथि पर उनके लिए श्राद्ध किया जा सकता है।
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पितृ पक्ष का समापन शनिवार, 28 सितंबर को हो रहा है। ये संयोग 20 साल बाद बना है, जब शनिवार को सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या आ रही है। 20 साल बाद सर्वपितृ अमावस्या शनिवार को आएगी। 1999 में यह संयोग बना था, जब सर्वपितृ अमावस्या शनिवार को आई थी।
ज्योतिषाचार्य अमित जैन ने बताया कि जब कुंडली में पितृदोष, गुरु चांडाल योग, चंद्र या सूर्य ग्रहण योग हो तो विशेष उपाय इस दिन किए जा सकते है।

पितृपक्ष में कैसे करें श्राद्ध
श्राद्ध वाले दिन अल सुबह उठकर स्नान-ध्यान करने के बाद पितृ स्थान को सबसे पहले शुद्ध कर लें। इसके बाद पंडित जी को बुलाकर पूजा और तर्पण करें। इसके बाद पितरों के लिए बनाए गए भोजन के चार ग्रास निकालें और उसमें से एक हिस्सा गाय, एक कुत्ते, एक कौए और एक अतिथि के लिए रख दें। गाय, कुत्ते और कौए को भोजन देने के बाद ब्राह्मण को भोजन कराएं। भोजन कराने के बाद ब्राह्मण को वस्त्र और दक्षिणा दें।
जब याद न हो श्राद्ध की तिथि

ज्योतिषाचार्य अमित जैन ने बताया की पितृपक्ष में पूर्वजों का स्मरण और उनकी पूजा करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है। जिस तिथि पर हमारे परिजनों की मृत्यु होती है उसे श्राद्ध की तिथि कहते हैं। बहुत से लोगों को अपने परिजनों की मृत्यु की तिथि याद नहीं रहती ऐसी स्थिति में शास्त्रों में इसका भी निवारण बताया गया है। शास्त्रों के अनुसार यदि किसी को अपने पितरों के देहावसान की तिथि मालूम नहीं है तो ऐसी स्थिति में आश्विन अमावस्या को तर्पण किया जा सकता है।

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