शहर से करीब 20 किलोमीटर दूर रावतभाटा रोड पर रथकांका के पास गेपरनाथ महादेव विराजते हैं। जहां अधिकतर स्थानों पर शक्ति सैकड़ों सीढिय़ां चढ़कर जाने के बाद दर्शन देती है, वहीं यहां गहराईयों में चंबल की कराईयों के बीच करीब 200 मीटर पाताल में 300 सीढिय़ां उतरकर जाने के बाद छोटे से मंदिर में महाशिव दर्शन देते हैं। शिव की महिमा भी देखिए, यहां बाहर मासी झरना शिव का अभिषेक करता प्रतीत होता है। इस मंदिर को भी सोलहवी शताब्दी का बताया जाता है। यहां महाशिवरात्रि की अगुवानी में मेले की तैयारियां हो चुकी है।
टिपटा क्षेत्र में गढ़ पैलेस है। इस पसिसर में गौकर्णेश्वर महादेव मंदिर है। चंबल के तट से कुछ ही दूरी पर गौकर्णेश्वर महादेव विराजते हैं। मंदिर को 130 से 135 वर्ष प्राचीन बताया जाता है। इतिहासविदें के अनुसार मंदिर का निर्माण महारव शत्रुशाल द्वितीय के कार्यकाल में हुआ। कहते पहले यह मंदिर बिल्कुल चंबल के किनारे पर ही था, लेकिन कोटा बैराज का निर्माण हुआ तो मंदिर का स्थान बदला गया और गढ़ पैलेस में दोबारा मंदिर बनवाकर गौकर्णेश्वर को विराजमान किया
कोटा विशाल परकोटे के नाम से जाता है। विशाल परकोटे में औद्योगिक यह नगरी पहले सुरक्षित रहा करती थी, इसी परकोटे में नीलकंठ महादेव का मंदिर हैं। यह आस्था का प्रमुख केन्द्र बताया जाता है। मंदिर का निर्माण16 वीं शताब्दी का माना जाता है। कहा जाता है कि इसका निर्माण राव सुरजन सिंह ने करवाया। कहते हैं यहां शिवलिंग स्वयंभू (खुद प्रगटे थे शिव) है। इस मंदिर मेंं प्रवेश करने मात्र से मन को अनूठी शांति का आभास होता है। हर दिन श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है, लेकिन शिवरात्रि, सावन में यहां का आलम खास होता है। दिनभर मंत्रों की धुन मन और आत्मा को पवित्र कर देती है।
कोटा में थेगड़ा क्षेत्र जो कभी अमरूदों के बागों से आबाद था और दूर तक यहां के अमरुदों की दूर तक दिलों में मिठास घुलती थी, लेकिन अब यह क्षेत्र शिवपुरी धाम के नाम पर प्रसिद्ध हो गया है। राणारामपुरी महाराज की तपोस्थली शिवपुरी धाम पर 525 शिवलिंग विराजमान हैं। इनके अलावा यहां प्राकृतिक छटा के बीच 15 फीट ऊंचा और 14 टन का वजनी सहस्त्र शिवलिंग विराजमान हैं। मंदिर की ख्याति दूर दूर तक है। अपने गुरु राणारामपुरी महाराज के सपनों को पूरा करने के लिए संत सनातनपुरी महाराज ने 525 शिवलिंगों की स्थापना करवाई। पर्यटकों के लिए भी भक्ति के साथ आकर्षण का केन्द्र है। चंदन व कदम के वृक्ष शोभा को बढ़ाते हैं।