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मलमास खत्म होने के बाद भी लोगों को मांगलिक आयोजनों के लिए अगले माह तक इंतजार करना होगा। फरवरी में शुक्रोदय के बाद ही मांगलिक आयोजन हो सकेंगे। 3 फरवरी को शुक्रोदय होगा। इसके बाद 6 फरवरी को सावा बताया जा रहा है। ज्योतिषाचार्यों की मानें तो इसके बाद भी पूरे साल में गत वर्ष की तुलना में सावे कम रहेंगे।
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वर्ष के प्रारंभ से देवशयन तक
ज्योतिषाचार्य शिवप्रसाद दाधीच के अनुसार, कुछ अबूझ सावों को छोड़ दें तो इस वर्ष करीब दो दर्जन सावे निकले हैं। फरवरी माह में 6, 18, 19 व 20 फरवरी को मांगलिक आयोजन होंगे। 17 फरवरी को फूलेरा दोज का अबूझ मुहूर्त रहेगा। मार्च में 2, 3, 5 व 6, अप्रेल में 19, 26, 27, 28 , मई में 11, 12 व 16 तथा जून में 13, 19, 21, 25, 29 तथा 6 व 10 जुलाई को मांगलिक आयोजन रहेंगे। इसके बाद 23 जुलाई को देवशयनी का अबूझ सावा रहेगा। इसी दौरान 18 अप्रेल को अक्षय तृतीया पर 9 रेखीय अबूझ सावा रहेगा। ज्योतिषाचार्यों की मानें तो अलग अलग पद्धति से ज्योतिषीय गणना के चलते कुछ सावों की तिथियां में अंतर संभव है।
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…. क्यों और कब ब्रेक 23 फरवरी से होलाष्टक लग जाएगा, जो 1 मार्च तक रहेगा। इसमें मांगलिक आयोजन वर्जित रहेंगे। इसी माह 14 मार्च को सूर्य कुंभ से निकलकर मीन में प्रवेश कर जाएंगे और मलमास प्रारंभ हो जाएगा। इस कारण एक माह 14 अप्रेल तक मांगलिक आयोजनों पर ब्रेक रहेगा। 16 मई से 13 जून तक अधिकमास के कारण शादियां नहीं होंगी। 23 जून को देवशयनी एकादशी के अबूझ मुहूर्त के बाद मांगलिक आयोजन थम जाएंगे। दाधीच के अनुसार, गुरु व शुक्र के अस्त रहने, मलमास व अधिकमास, देवशयन के दौरान मांगलिक आयोजनों को शुभ फलदायक नहीं माने जाते। इस कारण विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन व यज्ञोपवित संस्कार नहीं किए जाते। नवम्बर में देव उठनी के बाद भी दिसम्बर तक सावों का टोटा रहेगा।