जिला कलक्टर ने रविवार को अस्पताल का निरीक्षण किया था। उन्होंने अस्पताल अधीक्षक को धूम्रपान पर रोक लगाने व व्यवस्थाएं सुधारने के निर्देश दिए थे। सफाई ठेकेदार ने अस्पताल के हर कोने को गुटखे की पीक से बचाने के लिए लाल पॉलीथिन लगा दी, लेकिन सफाई व्यवस्था अब तक नहीं सुधरी। गंदगी का आलम अस्पताल के अंदर व बाहर दिखाई दे रहा है। परिसर के अंदर ही जूते चप्पल की दुकान चल रही है।
खिड़की में जुगाड़ कर पट्टी का टुकड़ा लगा दिया इमरजेंसी मेडिसिन वार्ड डेंगू रोगियों के लिए रिजर्व कर रखा है। इनमें मरीजों की तादात अधिक होने के कारण अतिरिक्त बेड लगाए गए हैं। इस वार्ड में करीब 28 बेड हैं, लेकिन कई बेड पर फटे गद्दे हैं, उन पर चद्दर तक नहीं है। इसके प्रवेश द्वार पर खिड़की टूटी हुई है। इसे ठीक करवाने के बजाए ठंडी हवा नहीं आए, इसके लिए पट्टी लगाकर जुगाड़ किया हुआ है।
फिर आ धमके ठेले एमबीएस अस्पताल में प्रवेश द्वार पर लगने वाले चप्पल-जूतों के ठेले हटा दिए गए थे, लेकिन ठेले वाले फिर आ गए। इनसे आए दिन रास्ते में जाम के हालात बनते हैं। सुरक्षा के कोई पुख्ता इंतजाम नहीं हैं।
यह गड्ढा नहीं भरता अस्पताल परिसर में प्याऊ के पास तो हालात ज्यादा ही खराब हैं। प्याऊ के चारों और सफाई नहीं होने से इसका पानी परिसर में फैला रहता है। मुख्य रास्ते पर गड्ढे का रूप ले लिया है। उसमें दिनभर गंदा पानी भरा रहता है। इससे मरीजों व उनके परिजनों को निकलने में परेशानी उठानी पड़ती है। इसी पानी में मच्छर पनप रहे हैं।
अस्पताल के मेडिसिन इमरजेंसी में मैंने भी राउंड लिया था। वहां मरीजों के लिए चद्दरें उपलब्ध नहीं थी। इंचार्ज से बात कर चद्दरें उपलब्ध कराई जाएंगी। अस्पताल में जगह-जगह टूटे फर्श व खिड़कियों को ठीक करवाने के लिए पीडब्ल्यूडी को पत्र लिखा हुआ है, लेकिन अधिकारी नहीं आ रहे हैं। उन्हें रिमाइंडर भेजेंगे। लोग जगह-जगह गुटखे की पीक थूकते हैं, जहां पॉलीथिन लगवा दी है। प्रवेश द्वार पर ठेले वालों को फिर पाबंद कर हटवाएंगे।
– डॉ. समीर टंडन, उपाधीक्षक, एमबीएस अस्पताल, कोटा