सचिव डॉ. सुरेश पाण्डेय ने कहा कि हाई ब्लड प्रेशर एक शांत ज्वालामुखी की तरह है, जिसमें ऊपर से कोई लक्षण दिखाई नहीं देते है पर ज्वालामुखी फू टने पर लकवा, हॉर्ट अटैक, अंधता जैसे गंभीर परिणाम हो सकते है।
वरिष्ठ कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. पुरुषोत्तम मित्तल ने बताया कि हृदय शरीर के सभी अंगों को नलिकाओं द्वारा रक्त पहुंचाने का कार्य करता है। इसी रक्तप्रवाह के समय हृदय एक दबाव पैदा करता है, जो रक्त नलिकाओं के अंधरूनी भाग पर पड़ता है। इस दबाव को रक्तचाप या ब्लड प्रेशर कहते हैं।
वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. सीबी दास गुप्ता ने बताया कि ज्यादा काम करने, भय, चिंता आदि अवस्था में रक्तचाप बढ़ जाता है। ज्यादा नमक भी नुकसानदायक होता है। संगोष्ठी में डॉ. अविनाश बंसल ने कहा कि स्वस्थ रहने के लिए दिन में पांच बार सब्जी या फल खाएं, दो घंटे से ज्यादा इलेक्ट्रोनिक उपकरणों का उपयोग नहीं करें। एक घंटा व्यायाम करें। फास्ट फूड नहीं खाएं।
कार्यक्रम में उपस्थित सभी को संकल्प दिलाया कि डायनिंग टेबल पर नमक दानी नहीं रखेंगे, खाने में अतिरिक्त नमक नहीं डालेंगे एवं ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने की दवा का नियमित रूप से चिकित्सक के मार्गदर्शन में सेवन करेंगे। इस दौरान 50 की रक्तचाप की नि:शुल्क जांच की गई जिनमें से 3 रोगियों को उच्च रक्तचाप मिला। संगोष्ठी में आईएसटीडी की चेयरपर्सन अनिता चौहान ने सभी चिकित्सकों का अभिनन्दन किया।
कार्यक्रम को डॉ. एमएल अग्रवाल, डॉ. गीता बंसल, डॉ. जे.के. बरथुनिया, डॉ. नवनीत बागला, गोविन्दराम मित्तल, प्रमोद माहेश्वरी, डॉ. दिनेश जिंदल, डॉ. विजय गोयल, डॉ. आर.बी. गुप्ता, डॉ. एकात्म गुप्ता, यज्ञदत्त हाड़ा ने भी सम्बोधित किया।