कोटा

सरकार नहीं बना पाई स्मार्ट विलेज

कागजों में दम तोड़ गई योजना

कोटाJun 28, 2020 / 11:31 pm

Ranjeet singh solanki

सरकार नहीं बना पाई स्मार्ट विलेज

कोटा। पूर्ववर्ती भाजपा शासन में गांवों को भी स्मार्ट सिटी की तर्ज पर स्मार्ट गांव बनाने की घोषणा की थी, लेकिन यह योजना कागजों में ही दम तोड़ गई है। स्थिति यह है कि गांवों में रोड लाइटें तक नहीं है। इस कारण रास्ते अंधेरे में डूबे रहते हैं, लोगों को रात में आने जाने में भी डर लगता है।लगभग तीन दशक पूर्व तक शाम ढलते ही गांव के मुख्य रास्ते बिजली की रोशनीस े जगमग हो जाया करते थे। धीरे-धीरे जनप्रतिनिधियों का रूझान घटता गयाऔर आज स्थिति यह हो गई कि गांवों की रोड लाइटे गुजरे जमाने कीबात होकर रह गई है। क्षेत्र की अधिकतर ग्रामपंचायतों के प्रमुख रास्तों में लगभग 3 से 4 दशक पूर्व तक रोड़ लाइट हुआ करती थी। उस समय गांव में लगाए गए हर बिजली के खम्भे पर एक लैंप लगाकर उसे रोड लाइट का नाम दिया गया था। सभी लैंप को चालू-बंद करने का पंचायत मुख्यालय के एक कमरे में मैन स्विच हुआ करता था। शाम ढलते ही पंचायत कर्मचारी मैन स्विच को चालू कर गांव के हर रास्ते को रोशन करता था। सुबहहोने के बाद कर्मचारी लाइटों को बंद कर दिया करता था। जैसे-जैसेआधुनिकता बढती गई वैसे-वैसे जनप्रतिनिधियों का रूझान गांव की रोड लाइटो की और कम होता गया। आज आलम यह हो चुका है कि पहले शामढलते ही रास्ते रोशन होते थे और अब शाम ढलते ही रास्तों मेंअंधेरा पसरा नजर आने लगता है। कमोलर सरपंच मेघा गौतम, खडिय़ा सरपंच रघुराज सिंह, लटूरी सरपंच मनीष नागर, मोईकलां सरपंच प्रदीप मेरोठा, लबानिया सरपंच अरूणामारन ने बताया कि आगामी समय में सभी से चर्चा कर इस बारे में गहनता सेचिंतन किया जाएगा। पंचायत जनप्रतिनिधि भी चाहते है शाम ढलने के बाद आमरास्तों पर अंधेरा नही बल्कि उजाला नजर आए।

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