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सेवाभावी रश्मि शर्मा बताती हैं कि जिस ढंग से अपना घर में महिलाओं की देखरेख होती है लगता नहीं इन हालातों में परिवार के लोग भी कर सकते हों। अपनाघर के अध्यक्ष राजकुमार शर्मा के अनुसार आश्रयहीन, असहाय, अज्ञात, बीमार को वेदनादायक पीड़ा व असामयिक मृत्यु का शिकार होने से बचाया जा सके, इसी उद्देश्य को लेकर हम प्रयासरत हैं। यह भी पढ़ें
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अब तक 777 को आसरा
संस्था में व्यवस्थाओं को देखने वाले मनीष जाट बताते हैं कि गत पांच वर्षों में अपना घर में 777 से अधिक महिलाओं को आसरा मिला है। इनमें से करीब 144 को उनके परिजनों से मिलाया है। संस्थान के देशभर में करीब 22 आश्रम संचालित हैं और इनमें 4 हजार से अधिक लोग रह रहे हैं। कोटा में फिलहाल 90 महिलाएं हैं।
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2012 से संचालितअपना घर आश्रम की स्थापना 29 जून 2000 को डॉ. बीएम भारद्वाज व माधुरी भारद्वाज ने भरतपुर जिले में बझेरा गांव में की थी। कोटा में 22 जनवरी 2012 में नांता में नारी निकेतन परिसर में अपना घर शुरू किया था। महिलाओं की सेवा में जुटी सुरभि वर्मा बताती हैं कि प्रयास यही रहता है कि इन्हें किसी तरह की परेशानी न हो।