नहीं किए अनियमितताओं को रोकने के प्रयासजांच में पाया गया कि इन अनियमितताओं को रोकने में उनकी ओर से पर्याप्त प्रयास नहीं किए गए। इससे तालाबों का मूल स्वरूप खराब हुआ और जनहानि और पशुहानि होने की आशंका बढ़ गई। कई जगह 13 मीटर तक भी खड्डे कर दिए गए। मिट्टी के परिवहन से क्षेत्र की सड़कों को भी नुकसान पहुंचा है। उनके इस कृत्य को राज. पंचायती राज अधिनियम 1994 की धारा 36 (1) में वर्णित कर्तव्यों के निर्वहन में अवचार एवं अपकीर्ति कर आचरण की श्रेणी में माना गया है। उन्हें अपना स्पष्टीकरण 15 मई तक संभागीय आयुक्त कोटा को भिजवाने के निर्देश दिए गए हैं।
विभागीय कार्रवाई किया जाना प्रस्तावितइसी मामले में जांच में दोषी पाए जाने पर ग्राम पंचायत पोलाईकलां के ग्राम विकास अधिकारी आशीष शर्मा को भी निलम्बित कर उनका मुख्यालय निदेशक पंचायतीराज विभाग जयपुर कार्यालय में कर दिया है, जबकि तत्कालीन विकास अधिकारी पंचायत समिति सुलतानपुर एवं हाल विकास अधिकारी पंचायत समिति झोंथरी जिला डूंगरपुर को भी तत्काल निलम्बित कर इनके विरुद्ध विभागीय कार्रवाई किया जाना प्रस्तावित किया गया है। जांच कमेटी में अतिरिक्त आयुक्त एवं संयुक्त शासन सचिव द्वितीय डॉ. प्रेमसिंह चारण, अधिशासी अभियंता प्रोजेक्ट बी.एल. गुप्ता एवं कोटा के खनिज अभियंता को शामिल किया गया था।