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दूसरे चरण के लिए पिछले दिनों दिल्ली की एक फर्म को कार्यादेश दिया जा चुका है। दशहरा मैदान के विकास प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत 146 करोड़ रुपए है। निगम ने पहले स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत इसका विकास कार्य कराने की बात प्रचारित की थी। अब विकास की राशि निगम को ऋण के रूप में दी जा रही है। इसे निगम को चुकाना होगा। निगम को ही कर्ज चुकाने के स्रोत ढंूढने होंगे। इसके तहत अब टुकड़ों में जमीन बेची जा रही है।
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यह जमीन बेचेंगे
निगम ने पहले दशहरा मैदान में आशापाला मंदिर के पास की जमीन बेचने का निर्णय किया था। इसका गुपचुप तरीके से भू उपयोग पर परिवर्तन हो गया, लेकिन जनप्रतिनिधियों के विरोध के चलते अब पुलिस कन्ट्रोल रूम के पास तीन भूखण्ड बेचे जाएंगे। ये भूखण्ड ई-ऑक्शन के माध्यम से बेचे जाएंगे। एक भूखण्ड होटल प्रयोजनार्थ 3400 वर्गमीटर तथा दो भूखण्ड 2011 तथा 2015 वर्गमीटर के वाणिज्यिक प्रयोजनार्थ आरक्षित बेचे जाएंगे। तीनों भूखण्डों की लोकेशन प्राइम है।
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इनका विरोध दरकिनार
सांसद ओम बिरला, विधायक संदीप शर्मा ने जमीन बेचने पर आपत्ति जता चुके। पार्षदों ने मेला समिति तथा कार्य समिति की बैठक में आयुक्त-महापौर की मौजूदगी में कहा कि मैदान की एक इंच जमीन नहीं बेचने देंगे।
पूर्व सांसद इज्यराज सिंह ने नगरीय विकास मंत्री को पत्र लिख जमीन बेचने के प्रस्ताव निरस्त करने की मांग की।
महापौर महेश विजय का कहना है, यह जो जमीन बेचना तय हुआ है, वह कभी दशहरा मेले का हिस्सा नहीं रही है।