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मानवता की मिशाल पेश कर रहा कोटा का गुरुद्वारा अगमढ़ साहिब

locationकोटाPublished: May 17, 2020 04:28:41 am

Submitted by:

Jaggo Singh Dhaker

कोरोना संकट में सेवा के लिए देशभर में चर्चित हुआ कोटा का गुरुद्वारा

मानवता की मिशाल पेश कर रहा गुरुद्वारा अगमढ़ साहिब

मानवता की मिशाल पेश कर रहा गुरुद्वारा अगमढ़ साहिब

प्रथम गुरु गुरुनानक देव की सीख मानस की जात एक ही पहचान गुरुद्वारा अगमगढ़ साहिब का सिद्धांत है। सेवादार डेढ़ माह से जरूरतमंदों को भोजन का कर रहे वितरण।


कोटा. मानवता की सेवा के लिए देश में खास पहचान रखने वाले कोटा के गुरुद्वारा अगमगढ़ साहिब की कोरोना में भी खासी चर्चा है। धर्म व आध्यात्मिक केन्द्र होने के साथ गुरुद्वारा साहिब मानव सेवा का केन्द्र भी है। बूंदी रोड स्थित गुरुद्वारा साहिब के दर यूं तो 24 घंटे लोगों की सेवा को खुले रहते हैं, लेकिन कोरोनाकाल में गुरुद्वारा अगमगढ़ सेवा का भाव लिए 8 से 10 हजार लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था कर रहा है। यह लंगर अस्पताल में भर्ती रोगियों, परिजनों व कन्ट्रोल रूम के माध्यम से जरूरतमंदों तक पहुंच रहा है। कोटा सिख प्रतिनिधि सोसायटी के अध्यक्ष तरुमीत सिंह बेदी बताते हैं कि प्रमुख जत्थेदार बाबा लक्खा सिंह के साथ बाबा बलविंदर सिंह सेवादारों का निरंतर मनोबल बढ़ा रहे हैं।
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कोरोनाकाल में अब तक करीब ढाई लाख से ज्यादा लंगर का वितरण किया जा चुका है। यहां मशीनों से एक घंटे में 10 हजार रोटी तैयार की जाती है। संक्रमण के चलते पहली बार पहली बार परोसकर भोजन नहीं कराया जा रहा। लंगर के पैकेट बनाकर बांटे जा रहे हैं। शहर में वितरण के साथ गुरुद्वारे में आने वाले हजारों लोग लंगर पा रहे हैं। यहां के मुख्य जत्थेदार बाबा लक्खा सिंह के नेतृत्व में मानव की पीर हरने में सेवादार दिनरात जुटे हुए हैं। सेवादार लंगर के साथ ही शहर को सेनेटाइज करने में जुटे हैं।
मानवता की मिशाल पेश कर रहा गुरुद्वारा अगमढ़ साहिब
यह पहला मौका नहीं है जब गुरुद्वारा अगमगढ़ ने यह पहल की है। कोटा में जब भी बाढ़ या अन्य कोई आपदा आई तब सेवादार मानवता के साथ खड़े रहे। गुरुद्वारे पर दस्तक देने वाले हर व्यक्ति को खाना नसीब होता आया है।

मानस की जात एक ही पहचान सिद्धांत पर चल रहे सेवादार
मुख्य जत्थेदार बाबा लक्खा सिंह और बाबा बलविंदर सिंह कहते हैं कि कोरोना के इस संकट में मानवता का धर्म सबसे बड़ा धर्म है। कोई भी धर्म अपने शिखर को तभी छूता है जब वो दूसरों की मदद करने के सिद्धांत को अपनाता है। सिख धर्म इसी सिद्धांत और विचार का परिचायक है। जहां दूसरों की निस्वार्थ सेवा को ही सबसे बड़ा पुण्य माना गया है। इस भावना को आगे बढ़ाते हुए सिख धर्म में लंगर की परंपरा शुरू हुई..क्योंकि जो सुविधाएं ऊपर वाले ने हमें दी हैं..उसका उपभोग हम अकेले नहीं कर सकते, उसका एक हिस्सा हमें उन लोगों तक भी पहुंचाना चाहिए जो मजबूर और जरूरतमंद हैं। कोटा सहित देश भर के गुरुद्वारे… संकट की इस घड़ी में लंगर के जरिए भूखे लोगों तक भोजन पहुंचा रहे हैं। इस संकट काल ने लंगर की प्रथा को भी थोड़ा बदला गया है…यानी अब लोग गुरुद्वारों में बैठकर तो लंगर नहीं कर पा रहे..लेकिन गुरु नानक के अनुयायी भोजन को जरूरतमंदों तक पहुंचा रहे हैं। प्रथम गुरु गुरुनानक देव की सीख मानस की जात एक ही पहचान गुरुद्वारा अगमगढ़ साहिब का सिद्धांत है।
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तड़के चार बजे होती है शुरुआत

गुरुद्वारा अगमगढ़ साहब के सेवादार सुखविंदर सिंह बताते हैं कि करीब साढ़े छह से सात क्विंटल आटा, ढाई से 3 क्विटल दाल व करीब 3 क्विंटल चावल से महाप्रसादी तैयार की जा रही है। रसोई तड़के साढ़े तीन से चार बजे शुरू हो जाती है। सुबह 11 बजे तक लंगर तैयार हो जाता है।
यह भी जानें अगमगढ़ साहिब के बारे में
1. गुरुद्वारे में सेवा में 100 सेवादार ‌लगातार सेवा दे रहे हैं।
2 .गुरुद्वारे की स्थापना 1980 में सचखंड निवासी संत ‌बाबा तारा सिंह सरहाली वालों ने की थी।
3. स्थापना के समय से ही यहां की बागडोर मुख्य जत्थेदार बाबा लक्खा सिंह ‌और बाबा बलविंदर सिंह ने संभाल रखी है।
4. यहां 70 कमरो‌ं का निवास है जहां कोई भी जरूरतमंद नि:शुल्क रह सकता है।
5. पूरे साल 24 घंटे गुरु ‌का अटूट लंग चलता है।
6. कक्षा 12वीं तक गुरुनानक स्कूल का संचालन होता है, जिसमें 2000 विद्यार्थी पढ़ते हैं।
7. गरीब असहाय बच्चों को‌ स्कॉलरशिप देकर पढ़ाया जाता है।

8. गुरुद्वारा अगमढ़ साहिब में बालिकाओं का विवाह नि:शुल्क कराया जाता है।
9. बैसाखी पर‌ विशेष ‌दिवान सजाए जाते है‌ं। बाबा लक्खा सिंह की अगुवाई में पूरे देश में 17 ऐतिहासिक गुरुद्वारो‌ं की सेवा चलती है जहां 24‌‌ घंटे गुरु का लंगर सभी आए गुरु प्यारों के लिए अटूट चलता है।
10 हाड़ौती में बाढ़ आई या अकाल पड़ा या फिर भुज गुजरात में भूकंप ‌आया गुरुद्वारा ‌अगमगढ़ साहिब ‌की सेवाएं उपलब्ध हुई।
11. राज्य सरकार ने 26 जनवरी 2020 ‌को गुरुद्वारा ‌अगमगढ़ साहिब की‌ बाढ़ में अतुल्यनीय सेवाओं ‌के सेवा के लिए बाबा लक्खा‌‌ सिंह को सम्मानित ‌किया था।
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पूरे देश से है जुड़ाव
गुरुद्वारा अगमगढ़ साहिब का जुड़ाव देश के विभिन्न शहरों से है। यहां के मुख्य जत्थेदार बाबा लक्खा सिंह ने चालीस सालों ‌में सिख धर्म ‌के लिए महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थलों पर भव्य गुरुद्वारो‌ं का निर्माण कार सेवा से कराया है। देश में राजस्थान, गुजरात, पंजाब में सन्त बाबा लक्खा सिंह और बाबा बलविंदर सिंह की अगुवाई में कार सेवा से ऐतिहासिक महत्व के स्थानों पर गुरुद्वारों का निर्माण किया गया। तीर्थ नगरी पुष्कर जहां गुरुनानक देव आए थे वहां बहुत सुंदर गुरुद्वारा बनाया गया है। सारे‌ विश्व ‌की संगत यहां दर्शन करने ‌आती है। इस तरह विभिन्न स्थानों पर गुरुद्वारों निर्माण कराया।
अगमगढ़ साहिब से जुड़े गुरुद्वारे
1. गुरुद्वारा अगमगढ़ साहिब बडग़ांव, कोटा
2. गुरुदारा डेरा साहिब पट्टे विंड (लुहार ) तरन तारन पंजाब

3. गुरुदारा तप स्थान सेल्वाराह जी शहीद (पंजाब)
4. गुरुदारा चादर साहिब भरूच गुजरात
5.गुरुदारा लंगर साहिब भरूच गुजरात
6.गुरुदारा नानकवाड़ी बड़ौदा

7. गुरुद्धारा गुरुनानक देव जी लखपत भुज गुजरात
8. गुरुदारा श्री गुरु नानक देव जी भेंट द्वारका गुजरात जन्म स्थान भाई मोखम सिंह पांच प्यारों में से एक
9. गुरुदारा गुरुनानक दरबार पुष्कर अजमेर
10. गुरुदारा गुरु गुरुनानक देव अर्जनसर श्री गंगानगर
11. गुरुद्वारा श्री तेज बहादुर साहिब सुमेरपुर,पाली
12.गुरुदारा भगत धन्ना जी धुआं कला टोंक राजस्थान

13. गुरुद्वारा गुरु कलगीधर साहिब भगोर भीलवाड़ा

14. गुरुद्वारा लंगर साहिब नानकपुरा भीलवाड़ा

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