READ ALSO : किसी की मां का आंचल सूना, किसी का उजड़ा सिंदूर…देखिए तस्वीरें ऐसे करेगा काम
इलेक्ट्रोनिक हैंडकफ में जीपीएस ट्रैकर के साथ शॉकिंग प्लेट लगी है। इसमें रिवर्स सिस्टम है। इसका रिमोट पुलिसकर्मी के पास रहेगा। यह आईपीए एड्रेस के जरिए सर्वर से जुड़ा होगा। बार कोर्ड के तहत हथकड़ी में नम्बरिंग सिस्टम रहेगा। इससे यह पता रहेगा कि किस थाने के अपराधी को किस नम्बर की हथकड़ी पहनाई गई है। जैसे ही अपराधी हथकड़ी के साथ भागेगा, पुलिसकर्मी रिमोर्ट के बटन दबाएंगे। लाल घेरे में अपराधी की लोकेशन पता चल जाएगी। यह सब पुलिस मुख्यालय से भी देखा जा सकेगा।
इलेक्ट्रोनिक हैंडकफ में जीपीएस ट्रैकर के साथ शॉकिंग प्लेट लगी है। इसमें रिवर्स सिस्टम है। इसका रिमोट पुलिसकर्मी के पास रहेगा। यह आईपीए एड्रेस के जरिए सर्वर से जुड़ा होगा। बार कोर्ड के तहत हथकड़ी में नम्बरिंग सिस्टम रहेगा। इससे यह पता रहेगा कि किस थाने के अपराधी को किस नम्बर की हथकड़ी पहनाई गई है। जैसे ही अपराधी हथकड़ी के साथ भागेगा, पुलिसकर्मी रिमोर्ट के बटन दबाएंगे। लाल घेरे में अपराधी की लोकेशन पता चल जाएगी। यह सब पुलिस मुख्यालय से भी देखा जा सकेगा।
READ ALSO : बदमाशों ने आधी रात मचाया तांडव, आधा दर्जन गाड़ियों के शीशे फोड़े
बनाने में एक साल का लगा
देवेन्द्र ने बताया कि इलेक्ट्रोनिक हैंडकफ को बनाने में एक साल का समय लगा है। जयपुर की एक कम्पनी को बल्क में 50 सैट बनाने के लिए दिए हैं। अगर कोटा पुलिस उसके सैट को अपनाती है तो वे सभी थानों के लिए इसे नि:शुल्क मुहैया करवाएंगे।
बनाने में एक साल का लगा
देवेन्द्र ने बताया कि इलेक्ट्रोनिक हैंडकफ को बनाने में एक साल का समय लगा है। जयपुर की एक कम्पनी को बल्क में 50 सैट बनाने के लिए दिए हैं। अगर कोटा पुलिस उसके सैट को अपनाती है तो वे सभी थानों के लिए इसे नि:शुल्क मुहैया करवाएंगे।
READ ALSO : मंत्री के सामने न नज़र आए कहीं अतिक्रमण ! सड़कों पर दौड़ा निगम का दस्ता, यातायात में बाधित अतिक्रमण हटाया
जीपीएस से लैस
आइटीआइ के पूर्व छात्र रहे महावीर नगर निवासी देवेन्द्र ने बताया कि इलेक्ट्रॉनिक हैंडकफ में दो तरह के जीपीएस लोकेशन व शॉकिंग सिस्टम लगे हैं। अपराधी जैसे ही हथकड़ी छुड़ाकर भागेगा, सौ मीटर की रेंज से बाहर निकलते ही उसे 100 वॉट का झटका लगेगा। इसके साथ ही वह नीचे गिर जाएगा। पुलिस गूगल मेप के जरिए लोकेशन का पता लगाकर अपराधी को पकड़ा जा सकेगा।
जीपीएस से लैस
आइटीआइ के पूर्व छात्र रहे महावीर नगर निवासी देवेन्द्र ने बताया कि इलेक्ट्रॉनिक हैंडकफ में दो तरह के जीपीएस लोकेशन व शॉकिंग सिस्टम लगे हैं। अपराधी जैसे ही हथकड़ी छुड़ाकर भागेगा, सौ मीटर की रेंज से बाहर निकलते ही उसे 100 वॉट का झटका लगेगा। इसके साथ ही वह नीचे गिर जाएगा। पुलिस गूगल मेप के जरिए लोकेशन का पता लगाकर अपराधी को पकड़ा जा सकेगा।