कोटा

अलीगढ़ की आदिला की सफलता ने बदल दिया कोटा को लेकर पिता का नजरिया…

विपरीत परिस्थितियों के बावजूद आदिला का नीट में बेहतरीन प्रदर्शन

कोटाJun 20, 2019 / 09:26 pm

Rajesh Tripathi

अलीगढ़ की आदिला की सफलता ने बदल दिया कोटा को लेकर पिता का नजरिया…

कोटा। मंजिल उन्ही को मिलती है जिनके सपनो में जान होती है, पंखो से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है। कुछ ऐसी ही कहानी है अपने हौसलों को बुलंद रखने वाली बिहार की छात्रा आदिला नजम की। जिसने विपरीत परिस्थितियों की चलते भी अपने सपने को पूरा करने की जिद को कभी नहीं छोड़ा।
आदिला के किसी रिश्तेदार का एम्स में चयन हुआ तब आदिला को जिज्ञासा हुई और उसने मेडिकल क्षेत्र (Medical ) के बारे में पूरी जानकरी प्राप्त की। तब ही से आदिला ने ठान लिया कि उसे डॉक्टर (Doctor) बनना है और उसे ही उसने अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया। आदिला ने अपनी 12वीं की पढाई अलीगढ़ से की। चूंकि आदिला पढाई में तेज थी तो उसकी जिद पर आदिला के पिता ने अलीगढ़ में ही नीट (NEET) के लिए कोचिंग में दाखिला दिलवा दिया। नीट 2018 में आदिला ने 479 स्कोर किया।
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बावजूद इसके आदिला निराश नहीं हुई, उसने कोटा जाकर नीट 2019 के लिए तैयारी करने का प्रस्ताव अपने परिवार के सामने रखा लेकिन आदिला के पिता ने इस बात से साफ इनकार कर दिया क्योकि वह यहां के माहौल को असुरक्षित महसूस करते थे। फिर आदिला के भाई ने उन्हें समझाया और कोटा में मोशन एजुकेशन में दाखिला करवा दिया। फिर क्या था आदिला अपनी पूरी लगन और ईमानदारी से पढ़ाई में जुट गई। हाल ही में हुए नीट 2019 में आदिला के अपेक्षित अंक 670 है। आदिला बताती है अगर वह NEET 2019 में इतना अच्छा प्रदर्शन कर पायी तो सिर्फ Kota के माहौल की वजह से क्योंकि परीक्षा के नजदीक आते आते डर की वजह से आदिला टेस्ट पेपर्स में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पा रही थी फिर कोचिंग डायरेक्टर नितिन विजय ने आदिला को समझाया, उसे प्रेरित किया जिससे कि उसका आत्म विश्वास फिर से वापस आ गया। आदिला कहती है कि ”कोटा आने से पहले मै बायोलोजी में अच्छी नहीं थी और क्योश्चन साल्विंग स्पीड भी बहुत धीरे थी लेकिन यहां आने के बाद दोनों ही इम्प्रूव हो गए और मुझे कोटा की सबसे अच्छी बात यह लगती है कि यहां हर बच्चे पर व्यक्तिगत रूप से ध्यान दिया जाता है । आदिला अपनी इस सफलता का श्रेय कोचिंग और यहां के अध्यापको को देती है। वो कहते है ना जहां चाह होती है वहां रास्ते स्वत: ही बन जाते है।
जिन परिस्थितियों में बिहार मे मेरी पढ़ाई हुई थी मैंने सोचा नही था कि मैं कोटा आकर कोचिंग करने पर डॉक्टर बन पाऊंगी पर मेरे परिवार के सहयोग और अध्यापकों के सही मार्गदर्शन से मैंने इस मुकाम को पाया। जिसके लिये मैं सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद देती हूं। मेरी सफलता के बाद कोटा को लेकर पिता का नजरिया भी बदला है।
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