Azab gajab: दो सौ किलो आम रस पिया तो भगवान हो गए बीमार.. 15दिन वैद्यजी की देखरेख में ‘जगदीश ‘
ज्योतिषाचार्य अमित जैन के अनुसार वृश्चिक लग्न का स्वामी मंगल अष्टम भाव में वायु तत्व की राशि में सूर्य व राहु के साथ त्रिग्रही योग बना रहा है। जिससे यह वर्ष वायु प्रकोप व गर्मी बढऩे के साथ अल्प वृष्टि वाला बन रहा है। लेकिन आद्रा प्रवेश कुंडली में गुरु-शुक्र का समसप्तम योग होने से इस बार वर्षा श्रेष्ठ होगी। कहीं-कहीं भारी वर्षा, बाढ़ से हानि होने के योग भी है। गुरु-शुक्र का अंश योग से पहाड़ों पर हिमपात, भूस्खलन से जनजीवन प्रभावित करेगा।
ज्योतिषाचार्य अमित जैन के अनुसार वृश्चिक लग्न का स्वामी मंगल अष्टम भाव में वायु तत्व की राशि में सूर्य व राहु के साथ त्रिग्रही योग बना रहा है। जिससे यह वर्ष वायु प्रकोप व गर्मी बढऩे के साथ अल्प वृष्टि वाला बन रहा है। लेकिन आद्रा प्रवेश कुंडली में गुरु-शुक्र का समसप्तम योग होने से इस बार वर्षा श्रेष्ठ होगी। कहीं-कहीं भारी वर्षा, बाढ़ से हानि होने के योग भी है। गुरु-शुक्र का अंश योग से पहाड़ों पर हिमपात, भूस्खलन से जनजीवन प्रभावित करेगा।
शनि-सूर्य करते हैं मौसम में बदलाव
astrologer अमित जी के अनुसार संवत्सर 2076 का राजा शनि और मंत्री सूर्य है। यह दोनों ग्रह प्रकृति से जुड़े हैं। सूर्य जब विभिन्न नक्षत्रों में प्रवेश करता है, तब प्रकृति में आश्चर्यजनक बदलाव होता है। जैसे ही सूर्य आद्रा नक्षत्र में प्रवेश करता है, तब सूर्य की तपन कम होती है और आकाश मंडल में बादल छाने लगते हैं, बारिश होती है और धरती जलमग्न होकर आमजनों को शीतलता प्रदान करती है। खास बात यह है कि इस बार सूर्य का आद्रा नक्षत्र में प्रवेश शनिवार को होगा और इससे पहले शनिवार 25 मई को रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश हुआ था।
astrologer अमित जी के अनुसार संवत्सर 2076 का राजा शनि और मंत्री सूर्य है। यह दोनों ग्रह प्रकृति से जुड़े हैं। सूर्य जब विभिन्न नक्षत्रों में प्रवेश करता है, तब प्रकृति में आश्चर्यजनक बदलाव होता है। जैसे ही सूर्य आद्रा नक्षत्र में प्रवेश करता है, तब सूर्य की तपन कम होती है और आकाश मंडल में बादल छाने लगते हैं, बारिश होती है और धरती जलमग्न होकर आमजनों को शीतलता प्रदान करती है। खास बात यह है कि इस बार सूर्य का आद्रा नक्षत्र में प्रवेश शनिवार को होगा और इससे पहले शनिवार 25 मई को रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश हुआ था।
कहीं ज्यादा तो कहीं कम बारिश पूर्वोत्तर राज्यों में बारिश से भूस्खलन और बाढ़ की स्थिति बन सकती है। इन स्थानों पर वर्षा से संपत्ति क्षय हो सकता है और मकान धराशायी हो सकते हैं। मैदानी भागों में वायु का जोर अधिक बने रहने से कम वर्षा का योग है। यहां सिंचाई के लिए वैकल्पिक साधनों का प्रयोग करना होगा। पश्चिम भारत में भी कम वर्षा का योग है।
महाराष्ट्र के तटीय भाग में अच्छी वर्षा और अंदरूनी भाग में सामान्य से कम वर्षा होगी। सूर्य के आर्द्रा प्रवेश के समय मंगल-शनि प्रतियुति, बुध-मंगल युति, मंगल-राहु युति, गुरु का पृथ्वी के निकट होना। ये सभी दुर्योग हैं, जिसमे जल और vayuसंबंधित उपद्रव होंगे। कई क्षेत्रों में सामान्य से कम वर्षा और सूखा पड़ने की आशंका है।