करेक्टर : इंसान का करेक्टर और बॉडी स्ट्रक्चर दोनों अच्छे होने चाहिए। ये दोनों योग से अच्छे हो सकते हैं।
प्रकृति- योग ने प्रकृति से ही सब कुछ लिया है। मेढक से मंडुकासन, सांप से भुजंगासन, गरुड़ से गरुड़ासन, वृक्ष से वृक्षासन और भी कई योग आसन इसके उदाहरण हैं। जैसे कोटा योगमय हुआ है, पूरा देश योगमय बनेगा।
काबिलियत:- हर एक इंसान शक्ति का असीम भंडार है, इसका उपयोग करें।
गतिशीलता-- सफलता के लिए निरंतरता जरूरी है। कर्म में निरंतरता बनाए रखो। जहां रुके सफलता पीछे हटने लगेगी।
कर्म: कर्म को धर्म मानकर की कर्म करो। धर्म समझकर किया गया कर्म भी योग ही है।
लक्ष्य- अपनी नजर को इधर उधर मत भटकने दो। लक्ष्य पर टिकाए रखो। नजर को इधर उधर भटकाने की जगह कुछ ऐसा करके दिखाओं की पूरी दुनिया की निगाहें तुम पर ठहर जाए।