रामगंजमंडी उपखंड क्षेत्र में ताकली मध्यम सिचाई परियोजना वर्ष 2006 में स्वीकृत हुई थी, जिसमें निर्माण का कार्य वर्ष 2007 में प्रारंभ किया गया। परियोजना क्षेत्र में 13 गांवों की भूमि डूब प्रभावित हुई। जिनमें 6 गांव की आबादी पूर्ण रूप से एवं रघुनाथपुरा गांव से 205 परिवारों को डूब क्षेत्र में होने के कारण विस्थापित होना पड़ा। प्रभावित गांवों में दडिय़ा, दुडकली, ममोलिया, सारंगखेड़ी, सोहनपुरा एवं तालियाबरड़ी के डूब प्रभावित परिवारों के विस्थापन के लिए भूखण्ड आवंटित किए जा चुके थे। रघुनाथपुरा के विस्थापित परिवारों को बसाने के लिए ग्राम नुरपूरा में भूमि आवंटित की गई थी, पर मध्यप्रदेश वन विभाग के आपत्ति करने से पुर्नवास नहीं हो सका। यह 15 वर्षों से लंबित चली आ रही थी।
अब ये परिवार स्थाई रूप से अपने आवासों का निर्माण करा सकेंगे। आवंटन पत्र मिलते ही ग्रामीणों के चेहरे पर मुस्कान दौड़ गई। इस अवसर पर विकास अधिकारी मुरलीधर मीणा, तहसीलदार भारतसिंह राठौड़, नायब तहसीलदार नीरज रावत उपस्थिति रहे। शिविर में 70 ऐसे मामले आए जिनके नाम की अशुद्धि होने के कारण वे सालों से सरकारी योजनाओं से वंचित थे। एक दिन में सभी के नाम शुद्ध किए गए।
शिविर में उत्साहित लाभार्थियों ने कहा कि प्रशासन गांव के संग अभियान राज्य सरकार द्वारा चलाया जा रहा है एक संवेदनशील और विकासशील अभियान है। इससे घर बैठे बैठे हमें हमारी समस्याओं का समाधान तो प्राप्त हो ही रहा है, साथ ही इससे प्रशासन और सरकार के प्रति हमारा विश्वास सुदृढ़ हो रहा है। डेढ़ दशक पुरानी समस्या का समाधान हमारे लिए एक सपने के साकार होने जैसा है, जिसे हम आजीवन स्वर्णिम स्मृति के रूप में सहेज कर रखेंगे।