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बड़ा सवाल, अंतिम छोर के खेतों की प्यास कैसे बुझेगी?

कोटा सीएडी (कमांड एरिया डवलपमेंट) ने रबी सीजन की फसलों को जीवनदान देने के लिए चम्बल की नहरों में पानी छोड़ दिया है, लेकिन नहरें झाड़-झंकाड़, घास-फूस व कचरा-गंदगी से अटी पड़ी हैं।

कोटाOct 28, 2021 / 10:35 pm

Haboo Lal Sharma

बड़ा सवाल, अंतिम छोर के खेतों की प्यास कैसे बुझेगी?

कोटा. सीएडी (कमांड एरिया डवलपमेंट) ने रबी सीजन की फसलों को जीवनदान देने के लिए चम्बल की नहरों में पानी छोड़ दिया है, लेकिन नहरें झाड़-झंकाड़, घास-फूस व कचरा-गंदगी से अटी पड़ी हैं। सवाल यह है कि इस स्थिति में टेल (अंतिम छोर) क्षेत्र तक पानी कैसे पहुंचेगा और किसान अपने खेतों की प्यास कैसे बुझाएंगे? सीएडी ने सोमवार से 500 क्यूसेक पानी नहरों में छोड़ दिया है, जिसे किसानों की मांग को देखते हुए धीरे-धीरे बढ़ाया जाएगा।
सीएडी ने अधूरी मरम्मत व बिना सफाई के नहरों में जल प्रवाहित कर दिया। ग्रामीण क्षेत्र में नहर की ब्रांचें व माइनर झाडिय़ों से अटी पड़ी हैं। माइनरों की टूटी दीवारों की मरम्मत तक नहीं हुई। इससे टेल क्षेत्र के किसानों को पानी मिल पाएगा या नहीं, इसे लेकर चिंता सताने लगी है।
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किसानों का कहना है कि पहले अतिवृष्टि ने मेहनत पर पानी फेर दिया। अब रबी सीजन की फसल में किसान मेहनत कर बुवाई कर रहे हैं, लेकिन सीएडी प्रशासन की ओर से क्षतिग्रस्त नहरों की मरम्मत व साफ-सफाई नहीं करवाने से टेल क्षेत्र तक पानी के लिए तरसना पड़ेगा।
चम्बल का नहरी तंत्र
– 124 किलोमीटर राजस्थान में
– 248 किलोमीटर मध्यप्रदेश में
– 2.29 लाख हैक्टेयर भूमि होती है सिंचित

दाईं मुख्य नहर
– 6656 क्यूसेक जल प्रवाह क्षमता
– 7 ब्रांच राजस्थान सीमा में
– 27 डिस्ट्रीब्यूटरी
– 356 माइनर
झाड़-झंकाड़ से ढकी नहर
दाईं मुख्य नहर की सुल्तानपुर माइनर का जीर्णोद्धार के अभाव में बुरा हाल है। किसान जगदीश शर्मा व शिवराज योगी ने बताया कि नहर में उगी झाडिय़ों व घास से नहर पूरी तरह से ढककर गायब हो गई। इतने दिन नहरें बंद रहने के बावजूद सीएडी ने सफाई नहीं कराई। ऐसी हालत में टेल क्षेत्र के किसानों को पानी कैसे मिलेगा। इसी तरह दीगोद क्षेत्र की उम्मेदपुरा वितरिका जगह-जगह टूटी पड़ी है। किसान पवन शर्मा ने बताया कि वितरिकाएं क्षतिग्रस्त होकर माइनर में गिर गई। ऐसे में जल प्रवाह में अवरोध पैदा होगा। जगह-जगह झाडिय़ों व घास उगी पड़ी है।
मरम्मत के नाम पर लीपापोती
भारतीय किसान संघ के प्रांत प्रवक्ता आशीष मेहता ने बताया कि दाईं मुख्य नहर से ग्रामीण क्षेत्र में निकलने वाली ब्रांचों, माइनरों व वितरिकाओं के बुरे हाल हैं। सीएडी की नाक के नीचे शहर के बीच से निकलने वाली किशनपुरा ब्रांच दुर्दशा की शिकार है। मरम्मत के नाम पर सीएडी व न्यास ने लीपापोती कर दी। थेगड़ा से बोरखेड़ा तक नहर के दोनों हिस्सों की टूटी दीवारों की मरम्मत के नाम पर एक माह पहले सीएडी ने काम शुरू किया, लेकिन कुछ स्थानों पर मरम्मत कर बाकी जगह टूटी पड़ी दीवारों को ऐसे ही छोड़ दिया। इस क्षेत्र में नहर के दोनों ओर कॉलोनी है। इस कारण नहर में कचरे के ढेर लगे पड़े हैं। किसान मोहनलाल नागर ने बताया कि कालातालाब में टूटी पड़ी माइनर पर कुछ जगह मरम्मत कर दी, बाकी को छोड़ दिया।

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