एक हादसे ने लगाया परिवार की खुशियों को ग्रहण, बेटे के लिए पिता लगा रहा जगह-जगह गुहार
कोटाPublished: Jul 17, 2019 12:51:34 am
खुशियों को उस समय ग्रहण लग गया जब परिवार के बेटे के दोनों हाथ एक हादसे में चले गए। आर्थिक स्थिति कमजोर होने से पिता कृत्रिम हाथ लगवाने के लिए मदद की गुहार लगा रहा है।
डूंगरज्या गांव में बेटे के लिए कृत्रिम हाथ लगवाने की गुहार लगाते माता-पिता।
कोटा. जिले में सुल्तानपुर क्षेत्र के डूंगरज्या गांव में एक परिवार की खुशियों को उस समय ग्रहण लग गया जब परिवार के बेटे के दोनों हाथ एक हादसे में चले गए। आर्थिक स्थिति कमजोर होने से बेबस पिता बेटे के कृत्रिम हाथ लगवाने के लिए दर-दर मदद की गुहार लगा रहा है। मेहनत मजदूरी कर परिवार का पालन-पोषण करने वाले युधिष्ठिर जांगिड़ के परिवार पर एक वर्ष पूर्व दु:खों का पहाड़ टूट पड़ा। उसके जवान बेटे विकास जांगिड़ (23) को मजदूरी करते समय अचानक पाइप से विद्युत लाइन छू जाने से करंट लग गया। विकास बुरी तरह झुलस गया। परिजन उपचार के लिए कोटा लेकर गए वहां से जयपुर रैफर कर दिया। संक्रमण फैलने से दोनों हाथ काटने पड़े। बेटे के उपचार में युधिष्ठिर की सारी जमा पूंजी खत्म हो गई। जयपुर के एसएमएस चिकित्सालय में चिकित्सकों ने विकास के कृत्रिम हाथ लगाने में छळ लाख रुपए का खर्च बताया है। अब पिता बेटे के फिर से हाथ लगवाने के लिए दर-दर मदद की गुहार लगा रहा है।
पूरा परिवार कर रहा मजदूरी
युधिष्ठिर के परिवार में पत्नी राममूर्ति, पुत्र विकास व विशाल तथा पुत्री चित्रलेखा सहित पांच सदस्य हैं। विकास सबसे बड़ा पुत्र है। परिवार की नियमित आय का कोई खास स्त्रोत नहीं है। राममूर्ति नरेगा में कार्य कर रही है। विशाल व युधिष्ठिर दोनों बेल्डिंग, टीनशेड लगाने का कार्य करते हैं।
नहीं मिली कोई मदद
युधिष्ठिर ने बताया कि बेटे के उपचार के लिए पैसों की तंगी पर एक वर्ष पहले मुख्यमंत्री सहायता कोष के लिए कोटा कलक्ट्री में फार्म जमा करवाया, लेकिन अभी तक कोई मदद नहींं मिली।
हरसंभव कोशिश करेंगे
इस बारे में पत्रिकाडॉटकॉम ने उपखण्ड अधिकारी दीगोद जब्बर सिंह से बात की तो उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री सहायता कोष से छह महीने में आवेदनकर्ता को मदद हो जाती है। यदि डूंगरज्या गांव निवासी युवक को आवेदन करने के बाद भी सहायता नहीं मिली तो इसका पता किया जाएगा। हरसम्भव सहायता का प्रयास करेंगे।