। रामगंजमंडी कृषि उपज मंडी को धनिया की विशिष्ट श्रेणी का दर्जा मिला हुआ है। मंडी में आड़तिये का कार्य करने वाले अधिकांश व्यापारी सिर्फ धनिया खरीद के प्रति ज्यादा रुचि दिखाते हैं। इसके अतिरिक्त मसाला कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ स्टाकिस्टों की नजर से भी यहां का धनिया निकटता बढ़ाए हुए है। धनिया का सामान्य सालों में सीजन फरवरी माह से शुरू हो जाता है। जनवरी माह से इसकी आवक हल्के-फुल्के रूप में चालू होती है। फरवरी में गीले धनिए की आवक का अच्छा दौर रहता है। इस बार हालात फसल में देरी होने से बदल गए। जनवरी माह के अंतिम दिनों में नए धनिए की आवक का दौर चालू हुआ।
फरवरी माह में इसके ग्राफ में बढ़ोतरी होने लगी तो मार्च माह पीक सीजन के रुप में सामने आया। गत वर्ष की तुलना में फरवरी व मार्च माह का आकलन किया जाए तो गत वर्ष की तुलना में इस बार करीब एक लाख 36 हजार क्विंटल धनिया की मंडी में कम आवक हुई है, जो सीधे धनिया की कम बुवाई होने की बात को प्रमाणित करती है।
मिलता है राजस्व : कृषि उपज मंडी को धनिया के भावों से मंडी शुल्क प्राप्त होता है। राज्य सरकार ने वर्ष 21-22 में धनिया पर मिलने वाले मंडी टैक्स को 1 रुपए 60 पैसे से घटाकर एक रुपए कर दिया था, लेकिन गत वर्ष से धनिया की कम आवक को भावों में आने वाले उछाले ने संतुलित किया, जिसका असर कम गिरावट के रूप मे देखने को मिला।
मार्च माह में भावों ने राजस्व का रेकॉर्ड तोड़ा : वर्ष 20-21 में रामगंजमंडी कृषि उपज मंडी को धनिया से 2 करोड़ 89 लाख का राजस्व मिला था। वर्ष 21-22 में धनिया से मंडी को राजस्व का आंकड़ा 3 करोड़ से ज्यादा तक मिला जबकि इस माह में धनिया की आवक का ग्राफ आधा रह गया था, लेकिन धनिया के भावों में आने वाले उछाले ने मंडी का राजस्व इस माह में पार लगा दिया।
धनिया के भावों में अंतर पर नजर : पिछले साल की तुलना में इस बार धनिया के भावों में चार हजार रुपए प्रति क्विंटल तक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। वर्ष 20-21 में धनिया बादामी धनिया 6100 से 6400 रुपए था, जो वर्ष 21-22 में 10800 से 11000 हजार, ईगल धनिया 6800 से 7000, से बढ़कर इस वर्ष 11500 से 11900, स्कूटर धनिया 7200 से 7500 से बढ़कर 12200 से 12500 रुपए तक पहुंच गया। भावों में तेजी बनी हुई है।