scriptमेहराना एनीकट के पास मिले बाघ के पगमार्क | The tiger's pugmark met near Mehrana Anicut | Patrika News

मेहराना एनीकट के पास मिले बाघ के पगमार्क

locationकोटाPublished: Jan 21, 2019 07:41:07 pm

Submitted by:

Deepak Sharma

– सहायक उप वन सरंक्षक ने की ट्रेकिंग, 3 कर्मचारी बढ़ाने के दिए निर्देश
– तीन सीसीटीवी कैमरे लगाए

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cartoon, The tiger’s pugmark met near Mehrana Anicut

कोटा.सुल्तानपुर.बूढ़ादीत. रणथम्भौर से बूंदी होते हुए चम्बल नदी के रास्ते कोटा में आए बाघ का रविवार को मेहराना एनीकट के पास मूवमेंट रहा। बाघ एनीकट के पास राड़ी में रुका। ट्रेकिंग टीम को दोपहर में उसके पगमार्क मिले।
कोटा उप वन सरंक्षक जोधराजसिंह हाड़ा ने वन कर्मचारियों के साथ बाघ की ट्रेकिंग का जायजा लिया। उन्होंने पगमार्कों से बाघ की मेहराना जंगलों में होने की पुष्टि की और बताया कि रविवार को मेहराना नाले में आधा किमी चलने के बाद बाघ के वापस खेतों के सहारे मेहराना की राड़ी में जाने के पगमार्क मिले।
उन्होंने बेहतर ट्रेकिंग के लिए सुल्तानपुर रेंजर रघुवीर मीणा को 3 वनकर्मी बढ़ाने के निर्देश दिए। वन विभाग का 5 सदस्यीय दल व रणथम्भौर की टीम बाघ की टे्रकिंग कर रही है। बाघ के मूवमेंट के मद्देनजर उप वन सरंक्षक ने मेहराना गांववासियों को जंगल में नहीं जाने, लकडिय़ां नहीं काटने की समझाइश की। चंबल घडिय़ाल अभयारण्य के सहायक वनपाल रामगोपाल मेघवाल ने बताया कि मेहराना और झोटोली के बीच तीन सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं।
यहीं ठहर सकता है
बाघ अब आगे किस ओर रुख करेगा, यह कहना मुश्किल है। इसके इन्हीं जंगलों में ठहरने की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने बताया कि क्षेत्र के जंगलों में पर्याप्त पानी व भोजन उपलब्ध है। ऐसे में बाघ यहीं रह सकता है।
जंगल सुरिक्षत था
वन्यजीव प्रेमी विष्णु गोस्वामी व शुभम मित्तल ने बताया कि सुल्तानपुर क्षेत्र में नौ साल पहले जनवरी 2010 में बाघिन टी-35 आई थी। उसने 6 वर्ष तक इन्हीं जंगलों में विचरण किया। इससे जंगल कटाई, फसल नुकसान व अन्य कई गतिविधियों पर रोक लग गई थी। किसान व जंगल सभी सुरक्षित थे, लेकिन 2016 में उसकी मौत के बाद फिर से जंगल में ग्रामीणों की दस्तक बढ़ गई।
पांच दिन हो गए शिकार किए
वन विभाग के अनुसार बाघ ने हाड़ौती के जंगलों में प्रवेश के बाद नील गाय का शिकार किया है। मण्डावरा नाकापाल गोपाल का कहना है कि बाघ ने बूंदी जिले के नौताड़ा गांव के जंगल में नील गाय का शिकार किया था। उसके बाद दो दिन तक वहीं रुका। उसे शिकार किए हुए पांच दिन हो गए।
नहीं किया मूवमेंट
इधर, उजाड़ क्षेत्र के चंबल बीहड़ में रविवार को बाघ का मूवमेंट नहीं रहा। इस क्षेत्र में टीम को पगमार्क नहीं मिले। पीपल्दा सांड, मोराना, खेड़ली तंवरान व मेहराना तक फैले जंगल में पेयजल स्रोतों पर निगरानी रखी गई।
कंक्रीट बनी परेशानी
बाघ जहां विचरण कर रहा है, वहां कंक्रीट की अधिकता है। इससे उसके पगमार्क नहीं दिख रहे। इससे उसकी वास्तविक लोकेशन की जानकारी जुटाना मुश्किल हो रहा है।
ट्रेकिंग के लिए कर्मचारी बढ़ाए
देर रात नाला पार कर मेहराना के जंगलों के पास कीचड़ से होकर गुजरने के पगमार्क मिले हैं। नियमित निगरानी के लिए कर्मचारियों की संख्या में वृद्धि की गई है। संभवतया मेहराना व मण्डावरा के बीच बाघ मौजूद है।
– रघुवीर मीणा, रेंजर, सुल्तानपुर
बाघ के पगमार्क मिले हैं, उन्हें देखते हुए पॉइंट स्थापित कर निगरानी की जा रही है। जंगल बस्तियों से सटे होने कारण कर्मचारियों को मुस्तैद रहने के निर्देश दिए हैं।
– जोधराज सिंह हाड़ा, डीएफओ, कोटा

फोटो कैप्सन-1- डीसीएफ जोधराज सिंह हाड़ा।
2- सुल्तानपुर क्षेत्र के मेहराना के जंगलों में ट्रेकिंग टीम को निर्देशित करते डीसीएफ जोधराज सिंह हाड़ा। फोटो नम्बर-21018,9
बीडी 2101-1 : बूढ़ादीत क्षेत्र के महराना के पास दिखे पगमार्क व टे्रकिंग करते वनकर्मी।
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