ठप हो सकता है उत्पादन
कोयले की किल्लत यूं ही बरकरार रही तो कोटा थर्मल और सूरतगढ़ थर्मल पावर प्लांटों में विद्युत उत्पादन ठप हो सकता है। फिलहाल हालात पर काबू पाने के लिए कोटा थर्मल की 110-110 मेगावाट की पहली और दूसरी यूनिट को बंद कर दिया है, जबकि सूरतगढ़ में 500 मेगावाट और छबड़ा थर्मल पावर प्लांट में 100 मेगावाट की यूनिट बंद करनी पड़ी है। कोटा थर्मल के डायरेक्टर टेक्नीकल एस.एस. मीना ने बताया कि हालात बेहद गंभीर हैं। यदि कोल सप्लाई सुचारू नहीं हुई तो और यूनिट बंद करनी पड़ सकती है।
कोयले की किल्लत यूं ही बरकरार रही तो कोटा थर्मल और सूरतगढ़ थर्मल पावर प्लांटों में विद्युत उत्पादन ठप हो सकता है। फिलहाल हालात पर काबू पाने के लिए कोटा थर्मल की 110-110 मेगावाट की पहली और दूसरी यूनिट को बंद कर दिया है, जबकि सूरतगढ़ में 500 मेगावाट और छबड़ा थर्मल पावर प्लांट में 100 मेगावाट की यूनिट बंद करनी पड़ी है। कोटा थर्मल के डायरेक्टर टेक्नीकल एस.एस. मीना ने बताया कि हालात बेहद गंभीर हैं। यदि कोल सप्लाई सुचारू नहीं हुई तो और यूनिट बंद करनी पड़ सकती है।
मुख्यमंत्री ने की समीक्षा कोयले की कमी से निपटने के लिए गुरुवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलौत ने ऊर्जा विभाग, उत्पादन निगम और थर्मल प्लांटों के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की। इसमें उन्हें बताया गया कि प्रतिदिन कोल इंडिया से 11 कोल रैक आती हैं, लेकिन फिलहाल चार से पांच रैक ही मिल पा रही है। वहीं छत्तीसगढ़ स्थित कोल ब्लॉक पारसा-कांटा से भी 9 रैक के स्थान पर पांच रैक ही उपलब्ध हो रही है। जिस पर उन्होंने कम से कम 11 रैक प्रतिदिन कोयले की सप्लाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। इसके साथ ही केंद्रीय विद्युत उत्पादन गृहों से राज्य को मिल रही बिजली की स्थिति की भी समीक्षा की। बैठक में ऊर्जा मंत्री बी.डी. कल्ला, मुख्य सचिव डीबी गुप्ता, प्रमुख शासन सचिव ऊर्जा एवं प्रभारी सीएमडी उत्पादन निगम कुंजीलाल मीणा, कोटा थर्मल के निदेशक तकनीकी एसएस मीणा और डायरेक्टर प्रोजेक्ट पीएस आर्या आदि अधिकारी मौजूद रहे।