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विलायती बबूल सूखे को तेजी से बढ़ावा देता है। इससे तापमान में वृद्धि होती है और भूमिगत जल की उपलब्धता में कमी आती है। तापमान में वृद्धिकारक होने के कारण जलवायु परिवर्तन में भी सहभागी है। कई देशों ने बबूल को नियंत्रित करने के लिए कानून बनाने की शुरुआत कर दी है। भारत सरकार को भी इस दिशा में पहल करनी चाहिए। डॉ. मोहम्मद उस्मान कहते हैं कि विलायती बबूल आज पर्यावरण के लिए बोझ बन गया है। इसके प्रभाव से देशी पौधों एवं पक्षियों की प्रजातियां लुप्त हो रही हैं।
विलायती बबूल सूखे को तेजी से बढ़ावा देता है। इससे तापमान में वृद्धि होती है और भूमिगत जल की उपलब्धता में कमी आती है। तापमान में वृद्धिकारक होने के कारण जलवायु परिवर्तन में भी सहभागी है। कई देशों ने बबूल को नियंत्रित करने के लिए कानून बनाने की शुरुआत कर दी है। भारत सरकार को भी इस दिशा में पहल करनी चाहिए। डॉ. मोहम्मद उस्मान कहते हैं कि विलायती बबूल आज पर्यावरण के लिए बोझ बन गया है। इसके प्रभाव से देशी पौधों एवं पक्षियों की प्रजातियां लुप्त हो रही हैं।
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इटावा क्षेत्र में करीब 80 प्रतिशत से अधिक वन भृमि पर विलायती बबूल उगे हैं। राज्य सरकार ने विलायती बबूलों के स्थान पर दूसरे पौधे लगाने के प्रस्ताव मांगे थे। प्रस्ताव स्वीकृत होते ही इन्हें हटाकर दूसरे पौधे लगाए जाएंगे।
गिरिराज गौतम, वन अधिकारी इटावा
इटावा क्षेत्र में करीब 80 प्रतिशत से अधिक वन भृमि पर विलायती बबूल उगे हैं। राज्य सरकार ने विलायती बबूलों के स्थान पर दूसरे पौधे लगाने के प्रस्ताव मांगे थे। प्रस्ताव स्वीकृत होते ही इन्हें हटाकर दूसरे पौधे लगाए जाएंगे।
गिरिराज गौतम, वन अधिकारी इटावा