scriptइस ‘शैतान’ ने सड़कों को कर दिया जाम, आए दिन हो रही दुर्घटनाएं | This 'devil' has blocked roads, accidents are happening every day | Patrika News

इस ‘शैतान’ ने सड़कों को कर दिया जाम, आए दिन हो रही दुर्घटनाएं

locationकोटाPublished: Jan 09, 2020 06:20:15 pm

Submitted by:

mukesh gour

80 फीसदी जंगल लील गया विलायती बबूल

इस 'शैतान' ने सड़कों को कर दिया जाम, आए दिन हो रही दुर्घटनाएं

इस ‘शैतान’ ने सड़कों को कर दिया जाम, आए दिन हो रही दुर्घटनाएं

कोटा. इटावा. विलायती बबूल इटावा क्षेत्र में वनस्पति व जैव विविधता को लील रहा है। इसका विस्तार पारिस्थितिकी तंत्र के लिए बड़ा खतरा बनता जा रहा है। क्षेत्र के 80 प्रतिशत वन भूभाग पर कंटीला जंगल काबिज हो गया है। यह किसानों के लिए तो परेशानी का सबब है ही, नहरी तंत्र भी इससे प्रभावित हो रहा है। इटावा-खातौली मार्ग सहित अन्य मार्गों पर उगे विलायती बबूल के पेड़ आए दिन हादसों का कारण बन रहे हैं। इसके फैलने से उपयोगी वनस्पति व भूमि की उर्वरा क्षमता भी नष्ट हो रही है। चरागाह भूमि पर भी विलायती बबूल ने कब्जा कर लिया है। इटावा क्षेत्र के नोनेरा, जोरावरपुरा, रजोपा, जटवाड़ा सहित कई ग्राम पंचायतों में चरागाह भूमि एवं चंबल, पार्वती एवं सूखनी नदी के किनारे हजारों बीघा सरकारी भृमि में विलायती बबूल फैला है। इसके जंगल ने आस-पास के खेतों की उपजाऊ भूमि को बंजर बना दिया है। बंजर भूमि में भी ज्ड्डयादातर स्थानों पर विलायती बबलू उग गए हैं। खेतों की मेड़ भी इससे अछूूती नहीं रही। तेज हवाओं के साथ इसके कांटे रास्ते पर बिखर जाते हैं। इनसे पशुओं एवं किसानों का खेतों के रास्तों पर चलना भी भारी पड़ रहा है। पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के बावजूद इसे कटवा कर छायादार या उपयोगी पौधे नहीं लगाए जा रहे हैं।
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देता है सूखे को बढ़ावा
विलायती बबूल सूखे को तेजी से बढ़ावा देता है। इससे तापमान में वृद्धि होती है और भूमिगत जल की उपलब्धता में कमी आती है। तापमान में वृद्धिकारक होने के कारण जलवायु परिवर्तन में भी सहभागी है। कई देशों ने बबूल को नियंत्रित करने के लिए कानून बनाने की शुरुआत कर दी है। भारत सरकार को भी इस दिशा में पहल करनी चाहिए। डॉ. मोहम्मद उस्मान कहते हैं कि विलायती बबूल आज पर्यावरण के लिए बोझ बन गया है। इसके प्रभाव से देशी पौधों एवं पक्षियों की प्रजातियां लुप्त हो रही हैं।
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लगाएंगे दूसरे पौधे
इटावा क्षेत्र में करीब 80 प्रतिशत से अधिक वन भृमि पर विलायती बबूल उगे हैं। राज्य सरकार ने विलायती बबूलों के स्थान पर दूसरे पौधे लगाने के प्रस्ताव मांगे थे। प्रस्ताव स्वीकृत होते ही इन्हें हटाकर दूसरे पौधे लगाए जाएंगे।
गिरिराज गौतम, वन अधिकारी इटावा
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