scriptऑक्सीजन की तीन गुणा खपत बढ़ी, रोजाना जद्दोजहद | Three times the consumption of oxygen increased, daily struggle | Patrika News

ऑक्सीजन की तीन गुणा खपत बढ़ी, रोजाना जद्दोजहद

locationकोटाPublished: May 14, 2021 04:25:24 pm

रोजाना 8 से 9 टन हो रही खपत

ऑक्सीजन की तीन गुणा खपत बढ़ी, रोजाना जद्दोजहद

ऑक्सीजन की तीन गुणा खपत बढ़ी, रोजाना जद्दोजहद

झालावाड. कोरोना के बढ़ते संकट के चलते अब अस्पतालों में ऑक्सीजन का संकट गहराने लगा है। बुधवार को ऑक्सीजन की किल्लत के चलते आनन-फानन में ऐनवक्त पर कोटा के लिए आवंटित ऑक्सीजन के टैंकर को झालावाड़ भेज दिया गया। स्थिति यह है कि भर्ती मरीजों के अनुपात में ऑक्सीजन की उपलब्धता नहीं हो पा रही है।
अप्रेल माह से मई के द्वितीय सप्ताह में ऑक्सीजन की तुलना करें तो करीब तीन गुना ऑक्सीजन की खपत बढ गई है। ऐसे में अब रोजाना इतनी ऑक्सीजन की व्यवस्था करने में प्रशासन की सांसे भी ऊपर नीचे हो रही है।
सूत्रों ने बताया कि अप्रेल के द्वितीय सप्ताह तक 3 से 4 टन रोजाना ऑक्सीजन की खपत थी।लेकिन अब पूरे अस्पताल में मरीजों की संख्या बढने के कारण एसआरजी अस्पताल में ही ऑक्सीजन की खपत करीब 8 से 9 टन रोजाना की हो रही है। इसके अलावा प्रशासन को सैटेलाइट अस्पताल समेत कोविड केयर सेंटर, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र एवं निजी अस्पतालों में भर्ती कोरोना मरीजों के लिए ऑक्सीजन की अलग से व्यवस्था करनी पड़ रही है। इन सबकी गणना की जाए तो औसत जिले में 12 से 14 टन ऑक्सीजन की जरूरत रोजाना पड़ रही है। इतनी ऑक्सीजन उपलब्ध कराने के लिए अब प्रशासन को रोजाना मशक्कत करनी पड़ रही है। कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा लगातार बढता जा रहा है। वहीं सेचुरेशन कम होने पर भी मरीज को ऑक्सीजन एवं वेंटीलेटर की आवश्यकता पड़ती है। अस्पताल में भर्ती एक कोरोना मरीज को औसतन 2 से ढाई ऑक्सीजन सिलेण्डर की रोजाना जरूरत पड़ रही है।एसआरजी चिकित्सालय में गुरूवार को करीब 485 मरीज भर्ती थे। इनमें आईसीयू की बात करें तो आरआईसीयू, एमआईसीयू एवं एसआईसीयू में करीब 95 पलंग मरीजों के लिए है। इन वार्डों के सभी गंभीर मरीज वेंटीलेटर, सीपेप एवं बायपेप पर चल रहे है। वेंटीलेटर में ऑक्सीजन की खपत सामान्य से करीब तीन से चार गुना अधिक होती है। एसआरजी में करीब 48 मरीज वेंटीलेटर पर चल रहे है। जबकि शेष मरीज सीपेप एवं बायपेप पर है। इसके अलावा रोजाना करीब 400 मरीज ऑक्सीजन सिलेण्डर पर निर्भर रहते है। जानकारों ने बताया कि एसआरजी चिकित्सालय में करीब 40 से 50 पलंग नए आए हुए है। लेकिन ऑक्सीजन की उपलब्धता के बिना इन पलंगों को लगाने का कोई मतलब नहीं है। अस्पताल में ऑक्सीजन की प्रचुर मात्रा उपलब्ध हो जाए तो फिर नए प्वाइंट बढाकर इन पलंगों को लगाने की व्यवस्था की जाए। विशेषज्ञों की मानें तो आने वाले समय में ऑक्सीजन की जरूरत अधिक पड सकती है। ऐसे में प्रशासन को ऑक्सीजन के लिए विशेष प्रबंध करने चाहिए। ताकि मरीजों को भविष्य में किसी तरह की असुविधा नहीं हो।

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