रणथम्भौर अभयारण्य के सहायक वन संरक्षक संजीव कुमार ने बताया कि तीनों ही बाघों की रोजाना वनकर्मी ट्रेकिंग कर रहे हैं। बाघ टी-115 रविवार को खेड़ली देवजी से मेज नदी को पार करके खरायता से होकर गुजरा। डपटा गांव के पास सोमवार को इसके पगमार्क मिले। सखावदा के जंगल में बाघ टी-110 के फोटो पहले ही मिल चुके।
बाघों की सुरक्षा को लेकर वन्यजीव कर्मियों की अलग-अलग टीमें गठित कर दी गई, जो अब लगातार ट्रेकिंग करेगी। बाघ टी-115 व टी-110 दोनों नर हैं, जबकि सखावदा से कमलेश्वर महादेव के जंगलों के बीच घूम रहा बाघ टी-59 मादा है। मादा बाघिन सखावदा से चलकर कमलेश्वर तक आती है और फिर वापस लौट जाती है। इसके भी फोटो व पगमार्ग मिल चुके हैं।
25 फोटो ट्रेप कैमरे लगाए
बाघों की गतिविधियों पर निगाह रखने के लिए वन्यजीव विभाग एवं विश्व प्रकृति निधि डब्ल्यूडब्ल्यूएफ ने जंगल में करीब 25 जगह फोटो ट्रेप कैमरे लगाए हैं। इन कैमरों के माध्यम से बाघों पर निगरानी रखी जा रही है। डब्ल्यूडब्ल्यूएफ की टीम ने सोमवार दोपहर को पोलघटा क्षेत्र में ट्रेकिंग की। वहीं वन्यजीव इंद्रगढ़ के रेंज अधिकारी विजय कुमार मीणा ने सखावदा से बलवन तक पैदल ट्रेकिंग की।
बाघों की गतिविधियों पर निगाह रखने के लिए वन्यजीव विभाग एवं विश्व प्रकृति निधि डब्ल्यूडब्ल्यूएफ ने जंगल में करीब 25 जगह फोटो ट्रेप कैमरे लगाए हैं। इन कैमरों के माध्यम से बाघों पर निगरानी रखी जा रही है। डब्ल्यूडब्ल्यूएफ की टीम ने सोमवार दोपहर को पोलघटा क्षेत्र में ट्रेकिंग की। वहीं वन्यजीव इंद्रगढ़ के रेंज अधिकारी विजय कुमार मीणा ने सखावदा से बलवन तक पैदल ट्रेकिंग की।