scriptताली बटोरनें के बजाय समाज को जगाएं कवि: मयूख | to awake society should be first priority of a poet said mayukh | Patrika News

ताली बटोरनें के बजाय समाज को जगाएं कवि: मयूख

locationकोटाPublished: Sep 28, 2019 09:54:07 pm

Submitted by:

shailendra tiwari

मंडलीय पुस्तकालय के नाम से आयुष्मान भव: – अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस पर सम्मानित किए गए हाड़ौती के 51 वयोवृद्ध नागरिक – मंडल पुस्तकालय में बुजुर्गों ने दिखाई समाज को दिशा, बोले परिवार को जोड़कर रखना सीखें

ताली बटोरनें के बजाय समाज को जगाएं कवि: मयूख

ताली बटोरनें के बजाय समाज को जगाएं कवि: मयूख

कोटा. नया दौर परिवारों पर खासा भारी पड़ रहा है। फिलवक्त परिवार को जोड़कर रखने की महती आवश्यक्ता है, लेकिन इसके लिए नई पीढ़ी को परस्पर सहयोग और सामंजस्य की कला सीखनी होगी। न्यूक्लियर फैमिली एक समय तक ही आपको आनंदित कर सकते हैं, लेकिन जब शरीर और शक्ति का क्षय शुरू होगा तो अपनों के बिना एकाकीपन का शिकार हो जाएंगे। राजकीय सार्वजनिक मंडल पुस्तकालय अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस के अंतर्गत आयोजित वरिष्ठजन सम्मान समारोह ‘आयुष्मान भव:Ó की अध्यक्षता करते हुए यह बात वरिष्ठ साहित्यकार बसीर अहमद मयूख ने कही। उन्होंने समाज का मार्गदर्शन करते हुए कहा कि नए दौर के कवियों और लेखकों को इस दिशा में अहम भूमिका निभानी है। क्योंकि तालियां बटोरने और यश एवं सम्मान के लिए की गई रचनाओं के बजाए उन पर समाजिक सरोकार को जीवंत करने वाली लेखनी चलाने की महती जिम्मेदारी आन पड़ी है। वेदों की ऋचाओं का आह्वान करें और समाज को विखंडित होने से बचाने वाले गीत और गजल सुनाएं। तभी समाज फिर से सशक्त और समृद्ध हो सकेगा।
यह भी पढ़ें
कोटा में दुखद हादसा, प्लेटफॉर्म से आवारा मवेशी को भगाते वक्त ट्रेन की चपेट

में आया सफाई कर्मचारी, दोनों पैर कटे

मंडल पुस्तकालय अघ्यक्ष डॉ. दीपक कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि इस अवसर पर डॉ. आरसी साहनी, बशीर अहमद मयूख और कमला कमलेश को वयोश्रेष्ठ श्री सम्मान 2019 से सम्मानित किया गया। इसके साथ ही साहित्य, शिक्षा, अभियांत्रिकी, चिकित्सा, कॉर्पोरेट, बैंक, समाजसेवा, सगीत, अभिनय,मंत्रालिक, उदघोषक , लेखा, रक्षा और पत्रकारिता आदि विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ठ सेवाएं दे समाज के विकास में योगदान देने वाले 51 वरिष्ठ नागरिकों को वयोश्री सम्मान 2019 से सम्मानित किया गया। वरिष्ठजनों का आभार जताते हुए डॉ. श्रीवास्तव ने कहा कि हमें आपसे जीवन की यात्रा को आनंद के साथ जीने की सीख मिली है। चूंकि जीवन की यात्रा एक सीधी रेखा न होकर सम और विषम परिस्थितियों का मिश्रण है। इसीलिए हर दौर का आनन्द लेना चाहिए।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो